Indore News: शारीरिक रूप से स्वस्थ पति बेरोजगारी का हवाला देकर पत्नी के भरण पोषण के दायित्वों से मुक्त नहीं हो सकता है. इंदौर की परिवार कोर्ट ने (Family Court) ने मजदूरी करने वाली पत्नियों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है. परिवार कोर्ट ने भरण पोषण नहीं देनेवाले पति को आदेश दिया कि पीड़िता को तीन लाख अस्सी हजार रुपये दिया जाए. अदालत ने पति के खिलाफ सख्त टिप्पणी भी की. हीरा नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली पीड़ित पत्नी ने 2016 में मामला दायर किया था.


मजदूर पत्नियों के पक्ष में फैमिली कोर्ट का अहम फैसला


उसने अदालत से भरण पोषण दिलवाने की गुहार लगाई थी. पति ने कोर्ट में पत्नी पर चरित्र हनन का आरोप लगाया था और पत्नी को मजदूर बताया था. अदालत में पति ने खुद को बेरोजगार बताकर भरण पोषण मामला ख़ारिज करने की अपील की थी. पीड़िता के वकील प्रीति मेनन ने बताया कि अदालत ने पति की अपील को खारिज करते हुए मजदूरी करने वाली पत्नियों के पक्ष में अहम फैसला सुनाया है और पति को पीड़िता के आवेदन दिनांक से प्रति माह छह हजार रूपये भरण पोषण की राशि देने का निर्देश दिया.


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बेरोजगारी की आड़ में नहीं बच सकता भरण पोषण से


अदालत ने मामले में सख्त टिपण्णी करते हुए कहा है कि कोई भी पति पत्नी पर चरित्र शंका या पत्नी का मजदूर होना और खुद को बेरोजगार बताकर भरण पोषण से बचने की दलील काम नहीं आ सकती. अदालत ने माना कि पत्नी को भरण पोषण देना पति का दायित्व है. बहरहाल, अदालत के फैसले से पीड़ित पत्नियों को इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है. 


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