MP News: इंदौर में बेटी ने पिता को लिवर डोनेट करने की इच्छा जताई है. पिता ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ से नियमों में छूट की मांग की है. आज याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदौर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश जारी किए. कोर्ट ने लिवर डोनेट करने के बाद शरीर पर होने वाले प्रभाव की जानकारी मांगी है. मामले में अब अगली सुनवाई सोमवार 24 जून को होगी. प्राइवेट अस्पताल ने स्वास्थ्य विभाग के नियमों का हवाला देकर बच्ची को लिवर डोनेट करने की अनुमति नहीं दी थी. अदालत ने एमवाय अस्पताल के अधीक्षक को बच्ची की मेडिकल फिटनेस रिपोर्ट देने को कहा है. 


42 वर्षीय किसान शिवनारायण बाथम लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. किसान की 17 वर्षीय बेटी के आगे लिवर डोनेशन की राह में नियम बाधा बन रहे हैं. ऐसे में किसान ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिकाकर्ता की ओर से 17 वर्षीय बेटी को लिवर डोनेट करने की इजाजत देने की मांग की गयी है. किसान के वकील नीलेश मनोरे ने बताया कि जस्टिस विनय सराफ ने मामले की सुनवाई की. उन्होंने एमवाय अस्पताल अधीक्षक से लिवर डोनेट करने के बाद बच्ची को होने वाले प्रभावों पर रिपोर्ट मांगी है.


बेटी ने जताई लिवर डोनेट करने की इच्छा


कोर्ट ने पूछा है कि क्या बच्ची लिवर देने के लिए मेडिकली फिट हो सकती है. मामले में कोर्ट ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज की जांच कमेटी पर आपत्ति जताई. कोर्ट का कहना था कि महाराजा यशवंत राव चिकित्सालय की टीम मामले की जांच करती. याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने महाराजा यशवंत राज चिकित्सालय के अधीक्षक को निर्देश दिए. 


पिता ने हाईकोर्ट से नियमों में मांगी छूट


मामले में अगली सुनवाई 24 जून को होगी. एडवोकेट नीलेश मनोरे ने बताया कि याचिकाकर्ता शिवनारायण बाथम 6 साल से लिवर की गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. उनकी पांच बेटियां हैं, सबसे बड़ी बेटी प्रीति 17 साल की है. प्रीति पिता को लिवर डोनेट करना चाहती है.


शिवनारायण बाथम की पत्नी डायबिटिक हैं. परिवार में 17 वर्षीय बेटी पिता को लिवर डोनेट करने आगे आई है. डॉक्टर्स ने साफ तौर पर कहा है कि शिवनारायण की जिंदगी जल्द से जल्द लिवर ट्रांसप्लांट नहीं होने पर खतरे में आ सकती है. 


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