Self Defence For Girls: महिला सशक्तिकरण के लिए देश भर में केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा अभियान चला कर बेटियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की मुहीम चलाई जा रही है. ऐसे में देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर (Indore) में अपने पारिवारिक हालातों की वजह से नेशनल ना खेल पाने वाली एक बेटी लगभग 100 स्कूली छात्राओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे रही है. ताकि हर लड़की मुसीबत के समय अपनी आत्मरक्षा खुद कर सके. आज देश भर में महिलाओं और लड़कियों पर हो रहे अत्याचार की वजह कहीं ना कहीं मानसिक रूप से उन्हें कमजोर समझना है. इसके कारण आये दिन छेड़खानी और दुष्कर्म जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं. इंदौर कलेक्टर ऑफिस के पास उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं को मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षित ट्रेनर और मार्शल आर्ट के लिए नेशनल गेम में चयनित खिलाड़ी द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है.


100 से अधिक छात्राओं को सिखा रही मार्शल आर्ट 


मध्यप्रदेश के धार जिले के ग्राम बांक की रहने वाली मार्शल आर्ट खिलाड़ी पूजा प्रजापत अपनी पारिवारिक हालातों के कारण नेशनल गेम में चयन होने के बाद भी खेलने दुबई नहीं जा पाई. इसके बावजूद पूजा ने अपने आत्मविश्वास को कम नहीं होने दिया और 100 से अधिक स्कूली छात्राओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मरक्षा के गुण सिखा रही हैं. पूजा प्रजापत कहती हैं कि लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लेना चाहिए ताकि वे अपनी आत्मरक्षा कर सके.


कक्षा 11 में पढ़ने वाली छात्रा सिखा रही मार्शल आर्ट


मार्शल आर्ट सिखाने के लिए मेरे साथ भी कई चुनौतियां थी. मैं एक छोटे से गांव की रहने वाली हुं और मेरे पिता एक मजदूर है. लेकिन उन्होंने मेरा साथ दिया और मुझे मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग करने दी. अब मैं स्कूल में छात्राओं को ट्रेनिंग दे रही हुं. मैं खुद भी इस स्कूल में कक्षा 11 की छात्रा हुं और ज़ब मुझे पता चला कि स्कूल में मार्शल आर्ट कि ट्रेनिंग दी जा रही है तो मैंने मैडम से बात कर छात्राओं को ट्रेनिंग देने की इच्छा जताई. मैं एक नेशनल खिलाड़ी हुं और स्टेट रेफरी भी हुं. 


इस ट्रेनिंग के माध्यम से लड़कियां खेल रहीं टूर्नामेंट 


पिछले 4 या 5 दिनों से मार्शल आर्ट, कराटे की ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग के दौरान छात्राओं को अपनी आत्मरक्षा करने के सभी गुण सिखाये जा रहे है. ट्रेनिंग से सभी लड़कियां बहुत खुश है और कई लड़कियां तो इस गेम के माध्यम से आगे टूर्नामेंट भी खेलना चाहती है. जिन्हें हम चिन्हित करके उनके लिए आगे खेलने की व्यवस्था भी कऱ रहे हैं. वहीं विद्यालय के स्पोर्ट्स टीचर ने बताया कि पांच सालों से बच्चियों को मार्शल आर्ट कि ट्रेनिंग दी जा रही है.


कोरोना काल में ट्रेनिंग बंद की गई थी


पिछले 2 सालो से कोरोना महामारी के चलते इसे बंद कर दिया गया लेकिन अब हमने पुनः जुलाई से बच्चियों को मार्शल आर्ट कि ट्रेनिंग देना शुरू किया है. मार्शल आर्ट कि ट्रेनिंग लेने के लिए हमारे पास लगभग 300 बच्चियां हैं जिनमें से अभी 100 लड़कियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. मार्शल आर्ट कि ट्रेनिंग लेने वाली कई बच्चियां देश में होने वाले नेशनल गेम का हिस्सा बन चुकी हैं. गोल्ड, सिल्वर के साथ लगभग 15 बच्चियां अभी तक कांस्य पदक जीत चुकी है.




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