Indore News: इंदौर में पीतल के पन्नों पर 193 देशों की झलक, 57 किलो पीतल पर उकेरा संविधान
Indore News: 93 देशों को समेटे हुए 4 फिट लम्बी पीतल की किताब जारी की गई है. इसे इंदौर में बनाया गया है. 193 देशों क संविधान की इस किताब में 6177 हजार चित्र हैं.
MP News: भारत G20 अध्यक्षता कर रहा है, जिसके चलते प्रगति मैदान में नौ और 10 सितंबर को प्रमुख बैठक होगी. इसके पूर्व भारतवासियों द्वारा विश्व के 193 देशों को समेटे हुए 4 फिट लम्बी पीतल की किताब जारी की गई है. खास बात ये है कि इसे इंदौर (Indore) में बनाया गया है. 193 देशों के संविधान की 4 फिट पीतल (57 किलो) की किताब अब हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र है.
पुस्तक बनवाने वाले पेशे से व्यापारी अधिवक्ता लोकेश मंगल ने बताया कि महज 217 घंटो में लेजर के माध्यम से उकेर कर किताब तैयार की गई. इसकी PLT फाइलिंग बनाने में 2 वर्ष 7 माह का समय लगा. पीतल के रोल से सामान्य कैंची से हाथों से पीतल के 97 पन्नों को काटा गया है. लगभग 40 गेज पीतल का रोल था, जिसे आसानी से काटा जा सकता है. 10 अगस्त 2023 को किताब कार्य पूर्ण हुआ. 193 देशों क संविधान की इस किताब में 6177 हजार चित्र हैं, जिन्हें पीतल के 98 पन्नों पर लेजर के माध्यम से उकेर कर दर्शाया गया, जोकी 14 बाय 48 इंच के है, जिनका कुल वजन 57 किलो है. जिसमें मुख्य पृष्ठ का वजन 10 किलो है.
संविधान की पीतल की 4 फिट की किताब
उन्होंने कहा कि मुख्य पृष्ठ बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 132 वी जयंती पर जारी किया गया. 193 देशों के प्रतिक चिन्हों को इसमें सम्मिलित किया गया है. उन्होंने कहा कि इस किताब को लेकर कभी भी किसी भी पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया जाएगा. अधिवक्ता लोकेश मंगल ने बताया कि, राज्यपाल, कर्नाटक थावरचंद गेहलोत की प्रेरणा से संविधान से देश पुस्तक द्वारा दुनिया की पहली 193 देशों के संविधान की पीतल की 4 फिट की किताब द्वारा संजोने का प्रयास किया, जिसमें महज चित्रों के माध्यम से संविधान की मूल भावना को दर्शाया गया, ताकि अशिक्षित को भी मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों का बोध हो.
पीतल पर बनाई गई किताब
अधिवक्ता ने बताया कि, इसके लिए भारत के 200 शहरो से धनसंचय किया गया. किताब हेतु प्रत्येक व्यक्ति से 1 रुपए (42000 रुपए) जीवन में एक बार के आधार पर किया गया. इसके लिए रायशुमारी 1 वर्ष 9 महीने चली, जिसमें समस्त राजनैतिक दल के राजनेताओं, श्रेष्ठ संविधान विशेषज्ञों,पत्रकारों, अधिवक्ताओं का सहयोग मिला. इस पुस्तक को अजर अमर दस्तावेज की चाह में धातु पर उकेरा गया, ताकि आने वाले हजारों वर्ष तक इसे सहेजा जा सके. वहीं धर्मगुरुओं ने चर्चा के दौरान पीतल को सबसे शुभ बताया, जिसके चलते किताब पीतल पर बनाई गई.
विशेषज्ञों से रायशुमारी के बाद की गई तैयार
अधिवक्ता लोकेश मंगल ने बताया कि प्रचार प्रसार का माध्यम केवल मीडिया है. विश्वभर के 5 लाख मीडिया समूहों तक सूचनार्थ भेजने का लक्ष्य है. इधर 26 नवंबर 2022 को थावरचंद गहलोत की प्रेरणा से 54 (32 किलो) पीतल के पन्नों की किताब तैयार की है, जिसमें महज चित्रों के माध्यम से भारतीय संविधान की मूल भावना को दर्शाया गया है. 25 सांसदों, 45 विधायकों, 20 कलेक्टर, और 17 श्रेष्ठ संविधान विशेषज्ञों से रायशुमारी के पश्चात् तैयार किया गया है. रायशुमारी 3 महीने चली, जिसमें समस्त राजनैतिक दल के राजनेताओं का सहयोग मिला. महज 14 घंटे में किताब तैयार की गई. आमजन से 10-10 रुपये धनसंचय कर प्रति बनाई गई है.
आपको बता दें कि पद्मश्री अनूप जलोटा ने संविधान जागृति हेतु गीत संविधान से देश पुस्तक द्वारा मौलिक अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने हेतु गाया है. जिन मौलिक अधिकार और कर्तव्यों के गाने का गायन पद्मश्री अनूप जलोटा कर रहे हैं, उसे संविधान से देश पुस्तक के संपादक एडवोकेट लोकेश मंगल द्वारा लिखा गया है. जिसके बोल कुछ इस तरह रखे गए.
हे आंख वो,जो संविधान का दर्शन किया करे
हे शिश जो लोकतंत्र में वंदन किया करे
बेगार वो मुख है,जो रहे व्यर्थ बातो में
मुख वो है,जो संविधान का सुमिरण किया करे
हीरे मोती से नही शोभा है हाथ की.
हे हाथ जो न्याय का पूजन किया करे
मरकर भी अमर नाम है,उस महामानव का जग में
जो संविधान के लिए जीवन किया करे
ऐसी लागी लगन, नागरिक हो गए मगन
वो तो गली गली,संविधान गुण गाने लगे
बैठी संविधान सभा,रंगी संविधान के रंग
संविधान पे चर्चा होने लगी
कोई रोके नहीं,कोई टोके नहीं
नागरिक संविधान गुण गाने लगे
अपराधियों को दण्ड दिया,मानो नागरिक को अमृत दिया
केवल मानव होने पर अनुच्छेद 14 में न्याय दिलाने लगे