Bhojshal ASI Survey Report: मध्य प्रदेश की इंदौर हाईकोर्ट बेंच के सामने आज सोमवार (22 जुलाई) को धार स्थित भोजशाला की एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट पेश की गई. इस मामले की आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. यह सुनवाई इंदौर हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति दुप्पला वेंकट रमण की बेंच के सामने हुई.


रिपोर्ट देखने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहले से विचाराधीन है और सर्वे रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर स्टे लगा हुआ है. ऐसे जब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सर्वे रिपोर्ट से स्टे हटता है, तब हाईकोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी. 


हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार
जिसके बाद इस पूरे प्रकरण में अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिकी है. इस मामले में 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होना है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट अपने एक आदेश में यह कह चुका है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कोई भी कार्रवाई करने से पहले, इसे सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाए. उसके बाद ही इस मामले पर फैसला हो.
 
यही वजह है कि इंदौर हाई कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट पेश होने के बाध भी सुप्रीम कोर्ट के अगले डायरेक्शन का इंतजार करने को कहा है. आई समझते हैं क्या है पूरा मामला?
 
मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
दरअसल, धार स्थित भोजशाला मामले में मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उसकी बात को सुने बगैर इंदौर हाईकोर्ट ने सर्वे का ऑर्डर दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने जो अपनी बात रखी है, उसमें कहा गया है कि हिंदू पक्ष 2003 के ऑर्डर के खिलाफ कोर्ट चला गया और 2019 में जो याचिका मुस्लिम पक्ष ने लगाई थी उसे याचिका को अनदेखा कर दिया गया.


इस तरह हाईकोर्ट ने याचिका सुने बिना सर्व आर्डर जारी कर दिया. साल 2019 की जो याचिका मुस्लिम पक्ष ने लगाई थी उसके मुताबिक, धार स्थित भोजशाला में कुछ काम गैर कानूनी तरीके से किया जा रहे हैं. इस दौरान कोर्ट में यह दावा किया गया कि यहां पर जो पुरातन महत्व की चीज रखी गई हैं, वह बाद में लाकर रखी गई. 


ASI पर गाइडलाइंस फॉलो न करने का आरोप
फिलहाल, इस याचिका पर भी सुनवाई अभी होनी बाकी है. इसके बाद 20 अप्रैल को भोजशाला मामले में मुस्लिम समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की. इस याचिका में दलील दी गई है कि पुरातत्व विभाग के जरिये जो सर्वे किया जा रहा है, उसमें गाइडलाइंस को फॉलो नहीं किया गया और भोजशाला में तोड़फोड़ की गई.


इसके के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को नोटिस जारी किया. इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन इस पर सुनवाई होनी है. एएसआई ने बीते दिनों इंदौर हाईकोर्ट में 3 महीने तक किए गए सर्वे की रिपोर्ट जमा कर दी है.


दूसरी और मुस्लिम पक्ष के जरिये जबलपुर हाईकोर्ट में भी 2004 में याचिका डाली गई थी, जिसका निराकरण अभी नहीं हुआ है. इस याचिका में कोर्ट के 2003 के आदेश को चुनौती दिया गया था. इसके अलावा 2019 में मुस्लिम पक्ष ने एक अन्य याचिका और लगाई थी जिसमें पूजा के लिए भोजशाला के अंदर ले जाने वाले अन्य सामान पर आपत्ति जताई गई थी.


हिंदू पक्ष ने की मंदिर घोषित करने की मांग
साल 2019 में जो याचिका लगाई गई, उसके करीब 3 साल के बाद हिंदू पक्ष ने 2022 में एक अन्य याचिका दायर की. जिसमें भोजशाला को मंदिर घोषित करने की मांग की गई थी. इसमें यह मांग की गई कि हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार पूरे दिन के लिए दिया जाए और नमाज को स्थगित कर दिया जाए.


इस तरह मुस्लिम पक्ष की दो याचिकाएं फिलहाल सुनवाई के लिए पेंडिंग है. पूरे प्रकरण को लेकर मुस्लिम पक्ष का कहना है कि जो याचिका सुनवाई के लिए शेष हैं, उन पर अभी कोई फैसला नहीं आया है. ऐसे में 2022 की याचिका पर कोर्ट कैसे फैसला दे सकता है.


मुस्लिम पक्ष के दावे को हिंदू पक्ष ने नकारा
भोजशाला प्रकरण में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि जो मूर्तियां वहां पर मिली हैं, वह एएसआई के सर्वे के दौरान मिली है ना कि पहले से रखी गई हैं. इस प्रकरण में मुस्लिम पक्ष का आरोप सरासर गलत है. 


उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस जाने की बात मुस्लिम पक्ष कर रहा है, लेकिन नियम यह है कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में केवल एक देश जा सकता है, कोई व्यक्ति या संस्था विशेष नहीं. इसके अलावा हिन्दू पक्ष ने कुछ तथ्य भी पेश किए हैं.


'सर्वे रोकने के लिए नहीं डाली गई याचिका'
भोजशाला प्रकरण में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के प्रदेश उपाध्यक्ष और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने कहा कि एएसआई के वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट के विरोध में कोई भी याचिका अभी तक सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नहीं की गई है. आशीष गोयल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही मामला चल रहा है.


आशीष गोयल के मुताबिक, मुस्लिम पक्ष सर्वे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका पहले से ही लगा चुका था. जिसमें पिछली बार 1 अप्रैल 2024 को सुनवाई हुई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई सर्वे की रिपोर्ट पर बिना सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के कुछ भी क्रियान्वयन करने पर रोक लगा दी है. 


इस मामले में आशीष गोयल ने आगे बताया कि 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के जरिये जारी नोटिस का जवाब दे दिया गया है. क्रियान्वयन की रोक हटाने की सुनवाई के लिए हमारे वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में मामला पटल पर आएगा. 


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