Madhya Pradesh News: आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जनजातीय उत्पादों पर विशेष आवरण जारी करने के क्रम में मंगलवार को इंदौर (Indore) में पोस्टमास्टर जनरल इन्दौर परिक्षेत्र प्रीती अग्रवाल द्वारा जीपीओ स्थित फिलाटेली ब्यूरो में झाबुआ (Jhabua) की ’’विश्व प्रसिद्ध गुड़िया कला’’ पर विशेष आवरण जारी किया गया. दरअसल, मध्य प्रदेश  (Madhya Pradesh) के झाबुआ जिले में आदिवासी एकल गुड़िया, आदिवासी जोड़ा, आदिवासी समूह को उनके औजारों के साथ दर्शाते हुए गुड़िया बनाने का कार्य किया जाता है. 


यह गुडिया झाबुआ के अनेक स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाई जाती है. ये आदिवासी अंचल के पहनावे और परिवेश को जानने का एक अच्छा माध्यम है. साथ ही उनके द्वारा कृषि के साथ-साथ अन्य कार्य में उपयोग किए जा रहे औजारो और  शस्त्रों के बारे में जानने का एक अच्छा माध्यम है. इंदौर में जारी इस विशेष आवरण से जिले के ऐसे समस्त कलाकारों और उनकी कला को राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय पहचान मिलेगी, जो गुड़िया बनाने का कार्य करते हैं. साथ ही ई-कॉमर्स पोर्टल पर उपलब्ध होने से इसका अधिकाधिक प्रचार-प्रसार हो सकेगा. 


ऐसे बनती है आदिवासी गुड़िया
बता दें, करीब पचास साल पहले झाबुआ में एक प्रशिक्षण केंद्र में हर साल बारह महिलाओं को ये गुड़िया बनाना सिखाया जाता था, लेकिन इस काम को कोई खास रिस्पॉन्स नहीं मिला. वहीं प्रशिक्षण केंद्र में अकाउंटेंट रहे उद्धवदास गिदवानी ने महिलाओं को एकत्रित किया और अब उनके सुपुत्र सुभाष गिदवानी इस लोक कला को आगे बढ़ा रहे हैं. सुभाष गिदवानी ने बताया कि ये गुड़िया पूरी कपड़े की होती है, जिसे रूई और तार से बनाया जाता है.


इसमें आदिवासी झलक दिखाने के लिए तीर कमान दिखाया गया है. साथ ही इसमें आदिवासी समाज में शादी समारोह के अवसर पर सिर पर रखे जाने वाली टोकरी भी दिखाई गई है. दशकों से गुड़िया बनाने का काम कर रहे गिदवानी ने बताया कि इस गुड़िया की डिमांड दुबई और स्विटजरलैंड तक है. जो भी इंदौर या झाबुआ आता है वह इसे अपने साथ निशानी के तौर पर जरूर ले जाता है. वहीं दुबई और अन्य देशों से भी इस गुड़िया के ऑर्डर मिलना शुरू हुए हैं.


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