(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Black Fungus in Indore: तीसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस की दस्तक ने फैलाई सनसनी, Khargone की इस महिला में आया पहला मामला
Black Fungus in Indore: महिला को 15 जनवरी को कोरोना हुआ था जो ठीक हो गया, जिसके बाद आंखों में जलन और दांत में दर्द की शिकायत होने लगी. जब इंदौर में टेस्ट करवाया गया तो ब्लैक फंगस का मामला सामने आया.
Black Fungus in Indore: कोरोना की तीसरी लहर के दौरान एक बार फिर ब्लैक फंगस (black fungus) के दस्तक ने सनसनी फैला दी है. ब्लैक फंगस का मामला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की व्यवसायिक राजधानी इंदौर (Indore) में सामने आया है. इस मामले को लेकर डॉक्टर भी हैरान हैं. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में ब्लैक फंगस ने देशभर में कोहराम मचा दिया था. ब्लैक फंगस की दवाई मोटी रकम पर कालाबाजारी में बेची और खरीदी गई. ब्लैक फंगस पर तीसरी लहर में पूरी तरह काबू पाने के दावे किए जा रहे थे. इसी बीच फिर से इंदौर में ब्लैक फंगस का मामला सामने आ गया है.
खरगोन की है महिला
खरगोन की रहने वाली 35 वर्षीय महिला को 15 जनवरी 2022 को कोरोना हुआ था. कोविड तो ठीक हो गया, जिसके बाद महिला को आंखों में जलन और दांत में दर्द की शिकायत होने लगी. जब इंदौर में टेस्ट करवाया गया तो ब्लैक फंगस का मामला सामने आया. डॉ बीएस सैत्या ने बताया कि महिला के ब्लैक फंगस का मामला सामने आने के बाद सफलतापूर्वक सर्जरी भी हो गई है.
तीसरी लहर में पहला मामला
डॉ सैत्या ने बताया, पीड़ित महिला को 2 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी. उन्होंने बताया कि तीसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस का यह पहला मामला है. पहली और दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर में सैकड़ों मामले सामने आए थे. इनमें कई लोगों को ब्लैक फंगस के चलते जान भी गंवाना पड़ी थी.
इन कारणों के चलते आंशका
कोरोना स्पेशलिस्ट डॉक्टर रौनक एलची ने बताया कि डिस्टिल्ड वाटर के स्थान पर यदि सादे पानी से भाप ली जाती है तो इसके जरिए भी ब्लैक फंगस शरीर में हो सकता है. उन्होंने बताया कि जिन लोगों की इम्यूनिटी कम रहती है, उन्हें ब्लैक फंगस होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है. कोरोना के बाद भी लोगों को सावधानी रखने की आवश्यकता है. यदि किसी को कोविड ठीक होने के बाद कोई तकलीफ होती है तो वह तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं.
दूसरी लहर के मरीज अभी जूझ रहे
ब्लैक फंगस कोरोना से ज्यादा खतरनाक है. पहली और दूसरी लहर के कुछ मरीज अभी भी ब्लैक फंगस के चलते परेशानियों से जूझ रहे हैं. जिन लोगों की इम्यूनिटी मजबूत है वे ब्लैक फंगस को झेल गए लेकिन इम्यूनिटी कमजोर वाले कई लोगों का अभी भी इलाज चल रहा है.
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