Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के इंदौर में नाबालिग बेटी अपने पिता को लीवर डोनेट करने के लिए हाई कोर्ट के औपचारिक आदेश का इंतजार कर रही है. उम्मीद है कि आज (27 जून) तो कोर्ट का आदेश मिल जाएगा. फिलहाल सरकार से अनुमति मिलने के बाद प्राइवेट हॉस्पिटल में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. बता दें इंदौर की एक नाबालिक बेटी अपने पिता को लीवर डोनेट करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 


इंदौर हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार और अस्पताल से उनका पक्ष जाना था. साथ ही यह भी जाना था कि क्या लड़की अपने पिता को लीवर देने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम है और इससे उसके स्वास्थ्य पर क्या असर होगा? इस मामले में कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश कर दी गई है. वहीं सरकार की तरफ से यह कह दिया गया कि लड़की अपने पिता को लीवर डोनेट करने के लिए फिट है.


हाई कोर्ट में आज सुनवाई
अब सिर्फ हाई कोर्ट से इस मामले में आदेश आना बाकी है. आज गुरुवार को इस मामले को लेकर सुनवाई होनी है. दूसरी ओर सरकार से अनुमति मिलने के बाद अब लीवर ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है. प्राइवेट हॉस्पिटल जहां पर लड़की के पिता भर्ती हैं वहां तैयारी चल रही है. पिता और डोनर नाबालिक बेटी को ऑब्जर्वेशन में ले लिया गया है.


यहां पर डॉक्टर उन पर निगाह बनाए हुए हैं. लीवर ट्रांसप्लांट करने के लिए ऑपरेशन किया जाएगा, लेकिन इससे पहले इंदौर हाई कोर्ट द्वारा फैसला दिए जाने का इंतजार किया जा रहा है. कयास लगाया जा रहा है कि आज यह आदेश परिवार को मिल जाएगा. जिससे नाबालिग बेटी अपने पिता को लीवर डोनेट कर पाएगी. बता दें अस्पताल में भर्ती शिव नारायण की पांच बेटियां हैं, जिसमें सबसे बड़ी बेटी प्रति उन्हें अपना लीवर डोनेट करने वाली है.


दरअसल, 42 वर्षीय शिव नारायण बाथम लीवर खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे. वहीं अस्पताल में जब यह बात आई की लीवर उन्हें डोनेट करने के लिए डोनर नहीं मिल रहा है, तो उनकी बेटी आगे आई और उसने अपने पिता को लीवर डोनेट करने के लिए अस्पताल प्रबंधन से गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल ने सरकार के नियमों का हवाला देते हुए इस मामले में पैर पीछे खींच लिए. 


क्या है पूरा मामला?
वहीं इस पूरे प्रकरण को लेकर 14 जून को अनुमति लेने के लिए नाबालिक बेटी ने इंदौर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका 42 वर्षीय शिव नारायण बाथम की ओर से लगाई गई. इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने मेडिकल ऑफिसर को नोटिस देते हुए तीन दिन में इसकी रिपोर्ट मांगी और 18 जून को अगली सुनवाई तय की गई. वहीं 18 जून को सुनवाई हुई तो हाई कोर्ट ने विशेष जूपिटर हॉस्पिटल से पूरे मामले में जवाब मांगा.


यहां शिव नारायण का इलाज चल रहा है, क्योंकि मरीज की मेडिकल रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश नहीं की गई थी. इसलिए 18 जून को सुनवाई करते हुए अगली तारीख 20 जून दे दी गई. उधर 20 जून को इंदौर हाई कोर्ट ने मेडिकल कमेटी का गठन किया और लीवर डोनेट करने को लेकर पूछा कि नाबालिक बेटी को भविष्य में कोई परेशानी तो नहीं आएगी? इस बात की जांच मेडिकल कमेटी करें. वहीं 24 जून को जो सुनवाई हुई उसमें स्वास्थ्य आयुक्त ने कोई जवाब पेश नहीं किया.


इसपर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दो दिन के अंदर रिपोर्ट दें वरना स्वास्थ्य आयुक्त खुद उपस्थित होकर यह बताएं की लड़की अपने पिता को लीवर देने के लिए फिट है या नहीं? इधर 25 जून को इंदौर हाई कोर्ट की नाराजगी के बाद स्वास्थ्य आयुक्त  की तरफ से लीवर डोनेट करने के संबंध में अनुमति पत्र जारी कर दिया गया है, जिसके बाद अब अस्पताल में लीवर डोनेट करने संबंधित तैयारी चल रही है. 



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