MP News: इंदौर में पुष्यमित्र भार्गव के महापौर कार्यकाल का पहला वर्ष कल पूरा हुआ. इस मौके पर महापौर के करीबियों ने जमकर जश्न मनाया लेकिन इस जश्न के बीच एक मुद्दा जोरशोर से उठ खड़ा हुआ. करोड़ों रुपये खर्च करने वाला इंदौर नगर निगम वाहवाही लूटने में माहिर है, लेकिन आलम ये है कि निगम अफसर और जिम्मेदार इतने नाकारा हो चुके हैं कि अब इंदौर में लोगों को पीने का साफ नहीं तक नसीब नही हो रहा है. ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि सर्वे रिपोर्ट कह रही है.
पीने के पानी की बात करें तो इंदौर की 35 लाख से ज्यादा आबादी को ज्यादातर इलाकों में एक दिन छोड़कर पीने का पानी सप्लाई होता है. ऐसे में दूषित पानी मिलने से रहवासी परेशान हो रहे हैं. इसे देखते हुए एक याचिका इंदौर हाईकोर्ट में भी दायर की गई. याचिका में लिखा गया कि लोगों को पैसा पूरे तीस दिन का देना पड़ रहा हैं जबकि इंदौर नगर निगम महज 15 दिन ही पीने का पानी उपलब्ध करवा रहा है.
नाकामी हो रही उजागर
नगर निगम में जिम्मेदार नेता सुस्त और खुद की वाहवाही करवाने में व्यस्त नजर आ रहे हैं. वहीं अफसर इतने नाकारा हो चुके हैं कि वे न तो नेता और ना ही जनता की सुन रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर लोग जाएं तो कहां जाएं? इंदौर नगर निगम के जिम्मेदारों का ध्यान इस बात पर है कि चुनावों में वाह वाही कैसे लूटी जाए. लेकिन जनता के हितों पर बात करने के लिए कोई ठोस काम नजर नहीं आ रहा है.
बारिश में ज्यादा बिगड़े हालात
इंदौर में बारिश ने मुश्किल और बढ़ा दी है. इस मामले में पूर्व नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम ने एक याचिका इंदौर हाईकोर्ट में दायर की. याचिका में कहा गया कि लोगों को पीने का साफ पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है. फौजिया शेख अलीम ने शहर के पांच अलग अलग इलाकों से पानी के सैंपल लिए जो सभी गंदे पानी के निकले. ये रिपोर्ट भी निगम में पेश की गई लेकिन जिम्मेदारों ने रिपोर्ट देखकर अपनी आंखें बंद कर लीं.
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