इंदौर:  मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में कोरोना की दूसरी लहर के थमने के बाद पारिवारिक अपराधों की परतें भी खुल रही है. स्वच्छता में पांचवी बार पहले पायदान आ चुके इस शहर में अनुशासन से जीने के दावे तो हर कोई करता है लेकिन बूढ़े हो चुके मां-बाप पर अत्याचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. बहरहाल ऐसे मामलों की सुनवाई इंदौर पुलिस की बुजुर्ग पंचायत में होती है जिसका जिम्मा एडिशनल एसपी प्रशांत चौबे ने उठा रखा है. वो ड्यूटी के साथ बुजुर्गों की सेवा भी करते है.  


हर बुधवार पुलिस पंचायत में बुजुर्ग की समस्या सुनी जाती है


इंदौर पुलिस के एडिशनल एसपी प्रशांत चौबे हर बुधवार पुलिस पंचायत में बुजुर्ग की समस्या सुनते हैं. इस पंचायत की खास बात ये है कि यहां बुजुर्गों की त्वरित सुनवाई होती है और उस पर तुरंत एक्शन लिया जाता है. पंचायत में बूढ़े मां-बाप पर जुल्म ढाहने वाले बच्चों की खबर ली जाती है. वैसे चौंकाने वाली बात यह है कि कोरोना काल के भयावह दौर में बुजुर्गों के साथ अत्याचार के मामले बढ़े हैं.




 पुलिस पंचायत में हर साल 800 से 900 केस आते हैं


एडिशनल एसपी प्रशांत चौबे के मुताबिक पुलिस पंचायत में हर साल 800 से 900 केस आते हैं, जिनमे त्वरित कार्रवाई कर राहत दिलाई जाती है. उनके मुताबिक इस माह भी 12 केस आए थे, जिसमें 8 केसों में राजीनामा करवाया गया. हालांकि, गौर करने वाली बात ये है कि अब बेटों के साथ बेटियों के नाम से भी शिकायतें पंचायत में आ रही है और समुचे शहर से हर वर्ग, जाति, धर्म के बुजुर्गों की शिकायते सामने आ रही हैं.




इंदौर पुलिस मामले में सुनवाई कर करा रही सुलह


एडिशनल एसपी प्रशांत चौबे की माने तो कोविड-19 में के भयावह दौर में इन शिकायतों पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे और अब शिकायतों में भी इजाफा हुआ है. फिलहाल, पुलिस लगातार ऐसे मामलों में सुलह करवाने का प्रयास कर रही है. बता दे कि सीनियर सिटीजन महापंचायत के शुरू होने के बाद सालभर में 800 से 900 शिकायत मिल रही है जिसका समाधान इंदौर पुलिस द्वारा कराया जा रहा है.


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