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Indore News: मध्य प्रदेश सरकार के ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट की ऐसे हवा निकालने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने 'पोल खोल अभियान' के तहत बड़ा खुलासा किया है. उनका दावा है कि शिवराज सरकार में प्रदेश में दो सालों में 10 हजार से ज्यादा उद्योग बंद हो गए हैं.
Indore News : इंदौर शहर 17 वे प्रवासी भारतीय सम्मेलन (Pravasi Bhartiya Sammelan 2023) की मेजबानी कर रहा है. इसके साथ ही इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट (Global Investors Meet) भी होने जा रहा है. इसके माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में नए उद्योग स्थापित किए जाने की संभावनाएं जता रही है. दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ 'पोल खोल अभियान' की शुरुआत की गई है, जिसमें प्रदेश में उद्योग बंद हो जाने का दावा किया गया है.
कितने स्टार्टअप बंद हुए, नहीं है आंकड़ा
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार का हमेशा दावा रहता है कि उसने उद्योगों के लिए बेहतर वातावरण बना दिया है और नए-नए उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं. जिसके कारण लोगों को रोजगार मिल रहा है. लेकिन सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले 2 साल में मध्य प्रदेश में 10000 से ज्यादा उद्योग बंद हो गए. इसके अलावा कितने स्टार्टअप बंद हुए हैं, शिवराज सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने पोल खोल अभियान के तहत ये आरोप लगाए हैं.
कांग्रेस ने लगाया धोखा देने का आरोप
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव यादव ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम (MSME) उद्योग के रजिस्ट्रेशन होने के बाद से आज तक ये उघोग स्थापित नहीं हो पाए हैं. शिवराज सरकार MSME उद्याोगों के आंकड़े बताकर धोखा दे रही है, जबकि वास्तव में ये उद्योग शुरू ही नहीं किए गए हैं. सिर्फ रजिस्ट्रेशन के फर्जी आंकड़े बताए जाते हैं. हालात ये है कि शिवराज सरकार के सरकारी दावे बोलते हैं कि मध्य प्रदेश में एमएसएमई का तेजी से विकास हुआ है.
एक लाख 37 हजार करोड़ के निवेश का दावा
शिवराज सरकार का दावा है कि केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में अब तक 17 लाख 15 हजार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाइयां केन्द्र सरकार के उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर रजिस्टर्ड हुए हैं. शिवराज सरकार दावा कर रही है कि पोर्टल के मुताबिक इन उद्यमों में 16.52 अरब अमेरिकी डॉलर यानी एक लाख 37 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है और युवाओं के लिए 73 लाख 5 हजार रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं. ये दावे बेबुनियाद हैं. सिर्फ रजिस्ट्रेशन होने से उघोग स्थापित नहीं हो जाते हैं. शिवराज सरकार के पास ये आंकडे़ भी नहीं हैं कि कितनी संख्या मे सूक्ष्म और लघु उघोग की इकाइयां कार्यरत हैं और कितने युवाओं को रोजगार मिला है. ऐसे में वर्तमान इंवेस्टर्स समिट पर भरोसा करना प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को धोखा देना है.
खरगोन में बंद किए जा रहे कारखाने
उज्जैन में मुख्यमंत्री ने एक होजरी कारख़ाने का भूमिपूजन करके दावा किया था कि छह कारखाने और लगेंगे जिससे बारह हजार लोगों को रोजगार मिलेगा लेकिन आज तक रोजगार नहीं मिला है. ऐसा ही हाल खरगोन जिले में है. सेंचुरी यार्न और डेनिम का कारखाना बंद किया जा रहा है. शिवराज सरकार की कमजोर उद्योग नीति से मध्यप्रदेश का जबरदस्त नुकसान हुआ है.
इससे भी दयनीय हालत मंडीदीप की
वर्ष 2021-22 में 85 हजार करोड़ का उत्पादन करने वाले औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप में पिछले डेढ़ दशक में 200 से ज्यादा उद्योग बंद हो गए, जबकि मंडीदीप प्रदेश में पीथमपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है. यहां कुल 1105 हेक्टेयर एरिया है और इस पर 650 औद्योगिक इकाइयां थीं लेकिन धीरे-धीरे यहां उद्योग बंद होने लगे. पिछले डेढ़ दशक में उद्योग बंद हुए और इनकी संख्या घटकर 445 रह गई है. लगभग 15 हज़ार लोगों का रोजगार छिन गया है.
एमओयू के बाद भी आज तक नहीं लगे उद्योग
अनिल अंबानी की रिलायंस ने मध्य प्रदेश में 50 हजार करोड़ रुपए निवेश का दावा इंवेस्टर्स समिट में किया था लेकिन दावे हवा हो गए. एक भी प्रोजेक्ट ज़मीन पर नहीं आया. उस वक्त भी मुख्यमंत्री वाहवाही लूटकर चले गए थे. कांग्रेस का कहना है की उघोगों में निवेश के लिए यह पहली कवायद नहीं हैं. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगभग हर कार्यकाल में इंवेस्टर्स मीट करके देश और विदेश के बिजनेसमैन को मध्य प्रदेश में निवेश करने का न्यौता देते आए हैं. लेकिन अधिकतर उद्योगपतियों ने एमओयू करने के बाद भी आज तक उद्योग नहीं लगाए हैं.
पलायन है प्रदेश की बड़ी समस्या
मध्यप्रदेश में पलायन की बड़ी समस्या रही है जो कोविड के बाद और भी बड़ी हो गई है. बुंदेलखंड, बघेलखंड, विंध्य, निमाड़, मालवा, तकरीबन हर क्षेत्र से बड़ी संख्या में मजदूर पलायन करके दूसरे राज्यों में जा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह, स्थानीय स्तर पर रोजगार का नहीं मिलना एवं शिवराज सरकार की गलत नीतियां हैं.
रोजगार देने का दावा बनाम पोल खोल अभियान
गौरतलब है कि प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी सरकार इन्वेस्टर्स मीट के माध्यम से प्रदेश में उद्योग लगाकर रोजगार देने का दावा कर चुनाव में इसका लाभ लेने की कोशिश करेगी. ये देखते हुए कांग्रेस भी सरकार के खिलाफ 'पोल खोल अभियान' चलाकर मतदाताओं को रिझाने के काम में जुटी है.
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