Eat Right Challenge: खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा को लेकर भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा ईट राइट चैलेंज प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. पहली बार में ही इंदौर ने बाजी मारी थी लेकिन दूसरे वर्ष इंदौर इस चैलेंज में पिछड़ गया था इस वर्ष फिर इंदौर जिला इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेगा, इसे लेकर तैयारियां कर ली गई है. 


पिछड़ा अब की बार पूरी तैयारी
खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा ईट राइट चैलेंज प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है. प्रतियोगिता में इंदौर जिला इस वर्ष हिस्सा लेगा पिछले वर्ष इंदौर चैलेंज में काफी पिछड़ गया था जबकि पहले वर्ष इंदौर में ईट्राइट चैलेंज में बाजी मारी थी.


प्रतियोगिता में तैयारियों को लेकर कलेक्टर इलैयाराजा टी अलर्ट हैं और उन्होनें इस मामले में अफसरों को बुलाकर इस बात की ताकीद कर दी है कि रिजल्ट पिछली बार से नही आना चाहिए. यह बात भी सामने आ रही है कि खाद्य सुरक्षा लाइसेंस बनाए जाने में लापरवाही की जा रही है.


इस मामले में कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक फूड सेफ्टी लाइसेंस बनाया जाएं ताकि ईट राइट चैलेंज प्रतियोगिता में इंदौर का दावा और पुख्ता हो सके. कलेक्टर के मुताबिक इंदौर जिले ने पहले ही लाइसेंस के टारगेट हासिल कर लिए हैं इसीलिए नए लाइसेंस बनाने में परेशानी आ रही है. कलेक्टर इलैयाराजा टी ने निर्देश दिये कि प्रतियोगिता के लिये पुख्ता प्रस्ताव कर भेजा जाये. यह प्रस्ताव 30 सितम्बर तक भेजा जाना है. 


देश के 260 शहरों ने भाग लिया था


आपको बता दें कि ईट राइट चैलेंज प्रतियोगिता में देश के 260 शहरों ने भाग लिया था. इनमें से कोयंबटूर नंबर वन आया है. ईट राइट चैलेंज फॉर सिटीज एंड डिस्ट्रिक्ट्स के तहत खाद्य सुरक्षा की पहलों को अपनाना, आमजन को सुरक्षित एवं स्वस्थ खान पान के प्रति जागरूक करना, इस प्रतियोगिता का मकसद है.


होटल, रेस्टोरेंट, डेरी, स्ट्रीट फूड हब, किराना दुकान, एव्हर फ्रेश आदि में खान-पान की शुद्धता और सफाई को आदत बनाने के लिए यह प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. नमूना संग्रहण, मिलेट रेसिपी एवं फोर्टिफिकेशन प्रदर्शन, ईट राइट केम्पस/स्टेशन प्रमाणन, भोग प्रमाणन, हाईजीन रेटिंग एवं नवाचारी गतिविधियों, आमजन के खान-पान की आदतों में सकारात्मक बदलाव तथा खाद्य प्रतिष्ठानों में आत्म-अनुपालन की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना भी इसका मुख्य उद्देश्य है. 


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