Indore: कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचा 'मृत शख्स', बोला- 'जिंदा हूं मैं लेकिन सबूत नहीं है'
Collector Office: इंदौर कलेक्टर ऑफिस की जनसुनवाई में एक बुजुर्ग अपनी फरियाद लेकर पहुंचा है. दरअसल संपत्ति को हड़पने के लिए परिजनों ने उसे मृत घोषित कर दिया है. इसी मामले को लेकर पीड़ित ऑफिस पहुंचा है.
Indore Collector Office: इंदौर के कलेक्टर ऑफिस की जनसुनवाई में एक बुज़ुर्ग अपनी फरियाद लेकर पहुंचा. जहां उसने बताया कि उसके परिवार वालों ने संपत्ति हड़पने के चक्कर में उसे मृत घोषित कर दिया गया है, जबकि वह अब तक जिंदा हैं. दरअसल कागजों पर संपत्ति की लालच में किसी व्यक्ति को मृत घोषित कर देना और खुद को जिंदा साबित करने की कवायद में परेशान होने की कहानी आपने कई बार फिल्मों में देखी और सुनी होगी. लेकिन इंदौर में यह कहानी को जीवंत देखा गया है.
खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद
दरअसल इंदौर में 80 वर्षीय एक बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में लगातार सरकारी कार्यालयों पर भटक रहा है. इसी कड़ी में मंगलवार को धुले सिंह नामक बुजुर्ग कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचा. जहां पर उन्होंने अपनी आपबीती अधिकारियों को सुनाई. दरअसल जलारिया पंचायत के रहने वाले धुले सिंह की शिकायत है कि उनके रिश्तेदारों के द्वारा उनको कागजों पर मृत साबित कर उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया है. अब वह खुद को जिंदा साबित करने के लिए दर-दर भटक रहा है.
बुजुर्ग ने की न्याय की मांग
इस मामले में बुजुर्गों का कहना है कि उनके पूर्वज के द्वारा उनके और उनकी मौसी के नाम पर एक जमीन की गई थी. वहीं कुछ समय पहले हुई उनकी मौसी की मृत्यु के बाद उनके रिश्तेदारों ने उन्हें भी कागजों पर मृत घोषित कर दिया और उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है. वहीं खुद को जिंदा साबित करने और अपनी संपत्ति को वापस लेने की जद्दोजहद में वह लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं. अब इस जद्दोजहद में वह कलेक्टर की जनसुनवाई में अपनी शिकायत लेकर पहुंचे हैं. जहां उनकी मांग है कि शासन और प्रशासन उनके इस मामले में सुनवाई कर उन्हें उचित न्याय दिलाए.
वहीं अपर कलेक्टर अभय बेडेकर के अनुसार इस मामले में जो बुजुर्ग शिकायत लेकर पहुंचे हैं वह उम्र ज्यादा होने के कारण पूरा मामला स्पष्ट रूप से समझाने की स्थिति में नहीं हैं. उनका कहना है कि उनको मृत साबित कर उनकी संपत्ति पर उनके रिश्तेदारों के द्वारा कब्जा कर लिया गया है. लेकिन वह खुद धुले सिंह हैं. इसका कोई भी प्रमाण उनके पास मौजूद नहीं है. जिसमें संबंधित क्षेत्र के एसडीएम को पूरा प्रकरण सौंपा है और जल्द ही इस पूरे मामले जांच की बात की गई है.
अब देखना यह होगा कि जांच के बाद क्या आता है. संपत्ति के लिये धुले सिंह को कागजों पर मारा गया है या फिर धुले सिंह ऐसे ही सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाकर यही साबित करते रहेंगे कि वो मरे नहीं बल्कि जिंदा हैं.
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