(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
इंदौर में साइबर ठगों ने साइंटिस्ट को बनाया शिकार, डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख से ज्यादा की ठगी
Indore Fraud Case: इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं. यहां एक साइंटिस्ट से 6 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख रुपये ठगे गए. क्राइम ब्रांच ने ठग का अकाउंट फ्रीज कर दिया है.
MP News: इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ठगों ने फर्जी कॉल के माध्यम से लोगों को डराने और धोखा देने का नया तरीका अपनाया है.इंदौर क्राइम ब्रांच में कुछ ही महीनों में डिजिटल अरेस्ट के 28 मामले रजिस्टर किए गए हैं, जिनमें कुल दो करोड़ 22 लाख रुपये की ठगी हुई है.
क्राइम ब्रांच ने अब तक 70 लाख रुपये रिकवर कर फरियादियों को कोर्ट द्वारा दिए हैं, वहीं एक ताजा मामला फिर से क्राइम ब्रांच के पास पहुंचा है. इस मामले में इंदौर के वैज्ञानिक को 6 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई. शिकायत के बाद, इंदौर क्राइम ब्रांच ने ठग का अकाउंट फ्रीज कर दिया है.
पीड़ित ने क्राइम ब्रांच में शिकायत की कि व्हाट्सएप कॉल के जरिए ठगों ने फोन कर खुद को मुंबई और दिल्ली क्राइम ब्रांच और सीबीआई के अधिकारी बताकर उनसे बात की और लाखों रुपये ठग लिए. फिलहाल, पूरे मामले को लेकर क्राइम ब्रांच आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है.
पीड़ित ने बताया कि उसे व्हाट्सएप कॉल के जरिए संपर्क किया गया, जिसमें आरोपी ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए कहा कि उसे जांच में शामिल होना है. ठग ने साइंटिस्ट को यह विश्वास दिलाया कि उसे किसी बड़े मामले में फंसाया जा रहा है और उससे पैसों की जरूरत है. यह सुनकर पीड़ित घबरा गया और उसने ठग के निर्देशों के अनुसार पैसे ट्रांसफर कर दिए.
क्राइम ब्रांच ने ठग के बैंक खाते को फ्रीज कर दिया है और अब आरोपी की तलाश में जुटी हुई है. यह पहला मामला नहीं है; इसके पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां लोगों को इसी तरह की ठगी का सामना करना पड़ा है.
राजेश दंडोतिया, अतिरिक्त डीसीपी क्राइम ने कहा, "हम सभी पीड़ितों से अपील करते हैं कि वे सतर्क रहें और ऐसे ठगी के मामलों की सूचना तुरंत हमें दें. हम अपराधियों को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट का तात्पर्य है कि ठग ऑनलाइन प्लेटफार्मों का उपयोग कर लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारी हैं. वे धोखाधड़ी के माध्यम से लोगों को इस प्रकार से फंसाते हैं कि लोग खुद को अपराधी समझने लगते हैं और डर के मारे अपने पैसे उनके खातों में ट्रांसफर कर देते हैं. ऐसे मामलों में ठगों ने तकनीकी साधनों का प्रयोग कर न केवल आम जनता को, बल्कि शिक्षित और पेशेवर व्यक्तियों को भी निशाना बनाया है.
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