MP News: इंदौर में विशेष बच्चों के एक आश्रम में हैजा फैलने के बाद छह बच्चों की मौत को कथित तौर पर ‘भारी लापरवाही’ का दुष्परिणाम बताते हुए कांग्रेस के एक जांच दल ने सोमवार को घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तुरंत प्राथमिकी दर्ज किये जाने की मांग की. कांग्रेस के जांच दल ने शहर में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित ‘श्री युगपुरुष धाम बाल आश्रम’ का दौरा किया और इस संस्थान में हैजे के प्रकोप के बाद शासकीय चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में भर्ती बच्चों का हाल-चाल भी जाना.
दल के अगुवा कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आश्रम के बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद कमजोर हैं. हमारी जांच से स्पष्ट है कि आश्रम में उनकी देखभाल में भारी लापरवाही बरती गई, जिससे छह बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी.’’
सरकार पर्दा डालने की कर रही है कोशिश
उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत के लिए कथित रूप से जिम्मेदार आश्रम संचालकों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ तुरंत प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. अलावा ने कहा कि आश्रम से जुड़े मामले में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं किया जाना साफ बताता है कि प्रदेश सरकार इस घटना पर परदा डालने की कोशिश कर रही है.
दावा किया गया था कि दिमागी दौरे के कारण हुई थी मौत
कांग्रेस के गठित जांच दल में अलावा के साथ पार्टी के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव डॉ. आदित्य पंडित और पार्टी की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि आश्रम के भीतर चार बच्चों ने हैजा से पीड़ित होने के बाद एक और दो जुलाई के बीच दम तोड़ा, जबकि इस संस्थान में 30 जून को जान गंवाने वाले एक बच्चे के बारे में दावा किया गया था कि उसकी मौत दिमागी दौरे के कारण हुई थी.
नहीं हो सकी है मौत के कारण की पुष्टि
उन्होंने बताया कि आश्रम के एक अन्य बच्चे की 29 और 30 जून की दरमियानी रात मौत हुई थी लेकिन आश्रम प्रबंधन ने इस बच्चे की मौत की जानकारी प्रशासन को नहीं दी और उसके शव को परिजनों को सौंपे जाने के बाद एक स्थानीय श्मशान में दफनाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया. अधिकारियों के मुताबिक, आश्रम प्रबंधन का दावा है कि इस बच्चे की मौत मिर्गी से हुई थी लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.
उन्होंने बताया कि प्रशासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की जांच में आश्रम में क्षमता से अधिक बच्चों को भर्ती किए जाने, बच्चों का मेडिकल रिकॉर्ड उचित तरीके से नहीं रखे जाने और संस्थान के रखरखाव की अन्य गड़बड़ियों का भी खुलासा हुआ है.
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