Ananta Chaturdashi Tableaux In Indore: इंदौर (Indore) में गुरुवार को हर साल  निकलने वाली अनंत चतुर्दशी (Ananta Chaturdashi) की  झांकियां इस साल भी अपने पूरे वैभव और परंपरा के साथ निकालीं, लेकिन उससे पहले कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर ने खजराना गणेश मंदिर की झांकी का पूजन किया. इंदौर शहर में पूरी रात झांकियां का कारवां सड़कों को रोशन करता हुआ निकला. वहीं यहां के लोगों ने भी रात भर जाग कर झांकियां को निहारा. दरअसल, इंदौर में झांकियां की परंपरा 100 साल से ज्यादा पुरानी है. यहां झांकियां के निकलने की शुरुआत बैलगाड़ी से हुई थी.


इंदौर में अनंत चतुर्दशी के मौके पर गुरुवार की शाम 6 बजे से झिलमिलाती झांकियों का कारवां इंदौर के परंपरागत रास्तों पर निकला, जो पूरी रात चलता रहा. शाम 6 बजे कलेक्टर इलैयाराजा टी,पु लिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर और निगमायुक्त हर्शिका सिंह ने सबसे पहले खजराना गणेश की झांकी का पूजन किया. इसके बाद सभी मिलों की झांकियां निकलना शुरू हुईं. इस दौरान अखाड़े भी साथ चलते रहे. पहलवानों ने भी करतब दिखाए. बैंड बाजों और डीजे के साथ भी लोग नाचते-गाते चल रहे थे. बड़ी संख्या में लोग झांकियों के सुन्दर और मनमोहक दृश्य को निहारने पहुंचे.


100 साल पुराना है झांकियां निकलने का इतिहास
इंदौर में अनंत चतुर्दशी के मौके पर निकलने वाली झांकियों की परम्परा करीब 100 वर्ष पुरानी है. बता दें होलकर साम्राज्य के समय जब शहर में कपड़ा मिल हुआ करती थी, तब से मिल के कर्मचारी झांकी का निर्माण कर रहे हैं. समय के साथ शहर से मिल जरुर बंद हो गई हो, लेकिन शहर की परम्परा आज भी कायम है. मिल के कर्मचारियों के अलावा इंदौर विकास प्राधिकरण, खजराना गणेश मंदिर सहित कुल 12 झांकियां इस बार तैयार की गईं. इन झांकियों को निहारने के लिए शहर भी रात भर जागा. जिला प्रशासन ने भी झांकी चल समारोह को लेकर अपनी तरह से खास बंदोबस्त किए थे. इतना ही नहीं प्रशासन द्वारा गठित झांकी और अखाड़ा निर्णायक समितियों द्वारा पुरस्कार के लिए सर्वसम्मति से श्रेष्ठ झांकियों और अखाड़ों का चयन किया गया. 


इस झांकी को मिला प्रथम स्थान
राजकुमार मिल की बच्चों का मनोरंजन घर झांकी को प्रथम स्थान और पुरुस्कार प्राप्त हुआ है. इसी तरह अखाड़ों में चंद्रपाल सिंह उस्ताद व्यायामशाला और छोगालाल उस्ताद व्यायामशाला को प्रथम स्थान और पुरुस्कार मिला. गौरतलब है कि प्रतिवर्ष की तरह इस साल भी परम्परा के निर्वहन में दिए जा रहे मिलों के महत्वपूर्ण योगदान के मद्देनजर पुरस्कार चयन में केवल मिलों की झांकियों को ही शामिल किया गया था. वहीं चल समारोह में अखाड़ों और व्यायाम शालाओं के युवाओं के साथ-साथ बच्चों द्वारा हैरत अंगेज प्रदर्शन और करतब दिखाए गए. शस्त्र कला की विधा को अखाड़ों और व्यायामशालाओं के कलाकारों ने इतनी विविधताओं व बारीकियों के साथ प्रस्तुत किया कि दर्शक देखते रह गए,


निर्णायक समिति ने इस बार दो विधाओं गतका परी औरथा एक हाथ का पटा के साथ बनेठी वर्ग में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कार के लिए अखाड़ों का चयन किया. झांकियों को लेकर शहरवासियों में खास उत्साह नजर आया. वहीं पुलिस और प्रशासन ने भी सुरक्षा को लेकर माकूल बंदोबस्त किए हुए थे. पुलिसबल के अलावा पूरे झांकी मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन के जरिये भी नजर रखी गई.


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