Indore News: पंचकुइयां के स्थानीय अनाथ आश्रम में पिछले दो दिन में दो बच्चों की मौत हो गई. इसके अलावा पांच बच्चों का अस्पताल में भर्ती किया गया है. बताया जा रहा है कि खून में इन्फेक्शन की वजह से बच्चों की मौत हुई है. 


आपको बता दें कि इस अनाथ आश्रम में विभिन्न जिलों से बच्चों को लाकर रखा गया था. अब इस पूरे मामले में पुलिस शामिल हो गई है और घटनाक्रम की जांच की जा रही है.


बच्चों में मिला खून का इन्फेक्शन
इंदौर के पंचकुइयां रोड स्थित श्री युगपुरुष धाम बौद्धिक विकास केंद्र में दो दिन में दो बच्चों की मौत हो चुकी है. इस अनाथ आश्रम में एक दर्जन के करीब बच्चे ऐसे हैं, जिनकी तबीयत बिगड़ गई है और बच्चों में खून का इन्फेक्शन मिला है. इन बच्चों को एमवाय अस्पताल से चाचा नेहरू अस्पताल भेजा गया है जहां इनका उपचार चल रहा है. 


कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया, "ये सच है कि आश्रम के 2 बच्चों की मौत हुई है. इनमें डायरिया या डीहाइड्रेशन से एक बच्चे की मृत्यु की आशंका जताई जा रही है. वहीं, एक अन्य बच्चे की मृत्यु मौत 'फिट' नामक बीमारी के कारण होना पता चली है. ठोस कारण जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.


7 साल और 12 साल के बच्चों की मौत


आपको बता दें कि यह सभी बच्चे मल्हारगंज के युगपुरुष धाम में रह रहे थे. मल्हारगंज पुलिस थाने से जानकारी मिली है, उसके मुताबिक 12 साल के करण और 7 साल के आकाश की पिछले दो दिन में मौत हो चुकी है. करण ने सोमवार को दम तोड़ दिया और आकाश की आज सुबह 7:00 बजे मृत्यु हुई है. 


हालांकि जो शुरुआती जानकारी मिली है, उसे देखा जाए तो कहा जा रहा है कि बच्चों में ब्लड इंफेक्शन हुआ था और इसमें एक मामले में पुलिस को जानकारी भी दी गई थी लेकिन फिर भी पुलिस के मामले की जांच कर रही है. 


2006 में हुआ था अनाथाश्रम 


आपको बता दें कि मृतक करण देवास के सोनकच्छ का रहने वाला था, जिसे 15 महीने पहले आश्रम लाया गया था. इसके अलावा नर्मदा पुरम के रहने वाले आकाश को 3 महीने पहले ही इस आश्रम में भर्ती किया गया था.


इस आश्रम की शुरुआत 2006 में हुई थी जब यहां पर 78 दिव्यांग बच्चों रहते थे. युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज से प्रेरणा लेकर इस आश्रम को शुरू किया गया इस आश्रम में दिव्यांग बच्चों को रखा जाता है. अलग-अलग जिलों के चाइल्ड लाइन या फिर अन्य सामाजिक संगठनों के जरिए बच्चों को यहां पर सौंपा जाता है जिनका कोई नहीं होता.


आश्रम से निकले बच्चे संभालते हैं यहां के बच्चों की जिम्मेदारी


यहां पर 217 मानसिक दिव्यांग बच्चे रह रहे हैं और सरकारी रिकॉर्ड में सभी बच्चों के साथ उनकी मां का नाम डॉक्टर अनीता शर्मा लिखा हुआ है. दरअसल, अनीता शर्मा यहां की प्राचार्य हैं. वहीं, सभी के पिता के नाम की जगह आश्रम के सचिव तुलसी शादीजा लिखा गया है. खास बात यह है कि इस आश्रम से जो बच्चे निकले, अब वह अन्य बच्चों की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं.


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