MP Water problem: इंदौर स्वच्छता में सात बार नंबर एक पर आ चुका है, लेकिन सवाल ये हैं कि क्या वाकई में स्वच्छता का सिरमौर बना ये शहर अपने पैमानों पर खड़ा उतर रहा है? क्या सिर्फ सड़कों को साफ रखकर ही हम स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं? बीते 7 सालों में हजारों लोग इंदौर जाकर के ये बात देख चुके हैं कि इंदौर स्वच्छता में नंबर वन आखिर कैसे बना.


इंदौर नगर निगम के अधिकारी और नेता बड़ी चालाकी के साथ स्वच्छ सर्वेक्षण करने आए लोगों को उन स्थानों पर ले जाते हैं, जहां पर इंदौर नगर निगम ने मील के पत्थर लगाए हुए है. अपनी सफलता को बताने वाले नगर निगम के अधिकारी इस बात को कब समझेंगे कि इंदौर को अभी भी पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है.


महंगा पानी पीने में इंदौर एशिया में सबसे आगे हैं. ये बात खुद इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव कह चुके हैं, लेकिन क्या वाकई में इस महंगे पानी में शुद्धता की जांच-परख की जाती है? अगर ऐसा होता तो शायद उन अनाथ आश्रम के बच्चों की मौत नहीं होती, जो आज हैजा के कारण काल के गाल में असमय समा गए.


कलेक्टर ने दिया जांच का आदेश 


इंदौर में अनाथ बच्चों की हैजा से मौत होने के बाद इंदौर कलेक्टर ने शहर के अलग-अलग आश्रम, स्कूल, हॉस्टल और होटल में पानी के सैंपल लेने के आदेश दिए थे. महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की टीम ने इन सभी जगह के सैंपल लिए और बताया कि करीब 56 जगह में से 44 जगह ऐसी है, जहां पानी पीने के योग्य ही नहीं है और ये वो जगह है, जहां पर ड्रेनेज का पानी, पीने के पानी में मिल रहा है.


56 जगह में से सिर्फ दो जगह ऐसी थी जहां पर पीने के पानी की क्वालिटी अच्छी मिली, वहीं 10 सैंपल की जांच करना अभी बाकी है. टीम ने 170 से ज्यादा स्थानों पर सैंपल लिए हैं जिनकी जांच चल रही है. मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी लैब में सैंपल्स की जांच हो रही है. 


इन स्थानों पर मिले हैजा के लक्षण


जांच के दौरान टीम को नौलखा में मौजूद भूमि गर्ल्स हॉस्टल, छोटा बांगर्डा में श्री शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र और नंद बाग के सागर सामाजिक विकास संस्था के पानी के सैंपल में हैजा के लक्षण मिले हैं. बारिश के दौरान हैजा बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है और ऐसे में ज्यादातर सैंपल असुरक्षित पाए गए हैं.


स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड की बात करें तो राऊ महू और चितावत के साथ इंदौर शहर के तमाम ऐसे एरिया है, जहां से करीब 18 सैंपल लिए गए थे. इनमें से ज्यादातर जगह का पानी पीने के योग्य नहीं मिला. जितने भी सैंपल लिए गए, इसमें सेहत के लिए खराब माने जाने वाले बैक्टीरिया पाए गए हैं.


भर्ती बच्चों की सेहत में सुधार - डॉक्टर प्रीति मालपानी 


इधर युगपुरुष अनाथ आश्रम के 28 बच्चें, जो अस्पताल में भर्ती थे. इनमें से तकरीबन 11 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया है और 17 बच्चों का इलाज चल रहा है. इनमें से कुछ बच्चों में एनीमिया भी निकला है. चाचा नेहरू अस्पताल की अधीक्षक डॉक्टर प्रीति मालपानी के मुताबिक बच्चों की सेहत में लगातार सुधार हो रहा है और जो बच्चे स्वस्थ हो रहे हैं, उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है.


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