International Equestrian Championship 2023 : एक समय ऐसा था जब खेलों में रूस और अमेरिका का दबदबा रहता था लेकिन अब खेल जगत में भारत के बढ़ते कदम आज सिर्फ़ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. हमारे देश के खिलाड़ी अब स्पोर्ट्स के हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं. सबसे महंगे खेलों में से एक घुड़सवारी ( Equestrian) में भी अब भारत का बेटा विदेशों में नाम कर रहा है. हम बात कर रहे हैं राजू सिंह भदौरिया (Raju Singh Bhadauira) की जो हाल ही में पैरिस के ग्रोसबोइस में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय घुड़सवारी चैंपियनशिप (International Equestrian Championship) 'इवेंटिंग' क्रॉस-कंट्री वन-स्टार वर्ग में अव्वल आकर गोल्ड मेडल जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी बन चुके हैं. उन्होंने यह खेल 23 पेनल्टी के साथ जीता है.


दरअसल राजू भदौरिया मूल रूप से भारत के मध्यप्रदेश के सबसे पिछड़े माने जाने वाले छोटे से जिले भिंड के हरपालपुरा गांव के रहने वाले हैं. उनकी जीत और उपलब्धि के बारे में जानकर परिवार के लोग ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. जिसकी एक वजह यह भी है कि भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले राजू को ख़ुद प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) और पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamalnath) ने भी ट्वीट कर बधाई दी है. राजू का परिवार आज भी अपने छोटे से गांव हरपालपुरा में रह कर खेती किसानी का कार्य करता है.


मामा से मिली घुड़सवारी की प्रेरणा
परिवार के लोगों ने बताया कि बचपन से ही उसे अपने मामा की तरह घुड़सवारी का शौक था. उसके मामा लोकेंद्र सिंह पहले से ही मध्य प्रदेश खेल अकैडमी इक्वेस्ट्रीयन में कर्मचारी हैं और घोड़ों की देखभाल करते हैं तो राजू को भी वे गांव के माहौल से दूर पढ़ाई के लिए अपने साथ भोपाल ले गए थे. जहां धीरे धीरे उसकी रुचि घुड़सवारी में बढ़ गई. इसके बाद  एक दिन अचानक कोच की नज़र उस पर पड़ी और उन्होंने इस उभरते सितारे की प्रतिभा को पहचान लिया. इसके साथ ही राजू का इक्वेस्ट्रीयन गेम से नाता जुड़ गया.


एमपी सरकार से मिला एकलव्य पुरस्कार
राजू की मेहनत भी रंग लाई जल्द ही उन्होंने कई इवेंट्स में अपने खेल का कमाल दिखाकर मेडल्स अपने नाम कर लिए जिसके लिए साल 2018 में राजू भदौरिया को मध्य प्रदेश सरकार ने एकलव्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया था. इसके बाद मेडल्स का कारवां आगे बढ़ता गया और राजू का हौसला भी.


इसी साल फरवरी में आयोजित हुई एशियन चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफ़ायर इवेंट में अपना उम्दा प्रदर्शन कर उन्होंने इसी वर्ष वर्ष आयोजित होने वाले एशियन चैंपियनशिप गेम्स 2023 में अपनी जगह पक्की कर दी. राजू फ़िलहाल फ़्रांस में हैं और वहीं अपने फ्रेंच कोच के साथ चैंपियनशिप की तैयारी और ट्रेनिंग कर रहे हैं.


बीहड़ से पैरिस तक का सफर
राजू भदौरिया की मां कुसमा देवी ने बताया कि राजू जब 10 वर्ष का था तभी भोपाल चला गया था. वह समय मिलने पर साल में एक या दो बार घर आता है. उसकी उपलब्धि और आज पूरा देश गर्व कर रहा है. यह देख कर बहुत ख़ुशी होती है. उन्होंने बताया कि बेटा भले ही बीहड़ से निकल कर आज विदेश पहुंच गया लेकिन उसका परिवार आज भी गांव में खेती कर एक सामान्य जीवन जीते हैं.


उन्हें अच्छा लगता है जब लोग उनके बेटे की तारीफ़ करते हैं. वहीं राजू के बुजुर्ग दादा ऊदल सिंह एक रिटायर्ड फ़ौजी हैं. वह कहते हैं कि बड़े फक्र की बात है कि देश के नेता राजू को विदेश लेकर गए.  उन्हें अपने पोते की उपलब्धि पर गर्व है. केवल 18 साल की उम्र में राजू भदौरिया का इक्वेस्ट्रीअन गेम में प्रदर्शन लाजवाब है. पैरिस में भारत को गोल्ड जिताने के बाद अब उनका पूरा फोकस एशियन चैंपियनशिप पर है जिसके लिए जीतोड़ मेहनत भी कर रहे हैं.


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