Sehore News: अगर आप कामयाब होना चाहते हैं तो आपके अंदर कामयाबी का जुनून होना चाहिए. आपका जुनून आपसे वह सब कराता है, जिसे आप करने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते. ये बात माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) फतह करने वाली मेघा परमार (Megha Parmar) ने इंटरनेशनल माउंटेन डे (International Mountain Day)  पर एबीपी न्यूज़ से बातचीत करते हुए कही. 


लक्ष्य तय करना चाहिए
सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की कहानी बताते हुए सीहोर जिले की मेघा परमार ने कहा कि आप जो कुछ भी करना या बनना चाहते हैं, उसके लिए लक्ष्य तय करना चाहिए. बता दें कि मेघा अपने पहले प्रयास में माउंट एवरेस्ट विजय से महज 700 फुट से चूक गई थीं. उन्होंने बताया कि असफलता से हताशा तो आती है, लेकिन समाज में कई लोग आपका हौसला बढ़ाते हैं. 




रीढ़ की हड्डी का हुआ ऑपरेशन
मेघा ने बताया कि मै ट्रेनिंग के दौरान चोटिल होने के बाद रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन कराना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी थी. 22 मई 2019 को सुबह पांच बजे तिरंगे के साथ एवरेस्ट फतह कर लिया था. 




मेघा ने शेयर किया अपना अनुभव
मेघा कहती हैं, 'हम जब हाई एल्टीट्यूड पर पहुंचते हैं तो वहां ऑक्सीजन बहुत कम होती है. हम बेस कैंप पहुंचते हैं, जो 5645 मीटर की ऊंचाई पर होता है. वहां दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है. इस तरह से जैसे कि कई बार 10 मंजिला इमारत की सीढ़ियां चढ़ ली हों, धड़कनें तब कुछ वैसी ही होती हैं. यह पूरी यात्रा दो महीने की होती है. इसमें चार कैंप होते हैं. हर कैंप में चुनौतियां बढ़ती चली जाती हैं. मेघा ने बताया कि एवरेस्ट यात्रा के दौरान हमेशा पीने के लिए पानी नहीं मिल पाता था. हर समय शरीर अंदर से टूटता था. सांस नहीं ली जाती थी. सीढ़ियां पार करते समय पैर कांपते थे. उस वक्त मैंने अपनी हिम्मत बढ़ाई और खुद से कहा कि रुको मत. यह भी हो जाएगा.'




मेघा ने आगे कहा, 'ऐसे में जीवन के लिए प्यार से ज्यादा जरूरी ऑक्सीजन है और हम सबको इसके लिए पेड़ जरूर लगाने चाहिए. उन्होंने कहा कि जब मैं जिंदगी और मौत के बीच थी तो खुद से दो वादे किए थे. एक तो यह कि मैं बहुत सारे पौधे लगाऊंगी और दूसरा यह कि लोगों की हरसंभव मदद करूंगी.' मेघा ने बताए सातों महाद्वीपों में से 4 महाद्वीप के ऊंचे पर्वतों को फतेह किया है मध्य प्रदेश की बेटी बचाओ ब्रांड एंबेसडर है. मध्य प्रदेश की जीके की किताब में भी मेघा परमार का जिक्र किया गया है.




मेघा परमार ने दी माउंट डे की शुभकामनाएं
सभी को माउंटेन डे पर मेघा परमार ने शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा, 'हम सब के अंदर जो ईगो होता है, पर्वत हमें सिखाता है इतना बड़ा है इसमें थोड़ा सा भी गुरूर नहीं है. हम इतने से हैं और हमें इतना गुरूर है, इगो को खत्म करना है. पर्वतीय क्षेत्रों को बढ़ावा देना चाहिए. यदि आप अपनी चीजों में उलझे रहेंगे तो फिर रिस्क नहीं लेंगे. पहाड़ आपको सिखाते हैं कि छोटी-छोटी बातों पर हताश निराश नहीं होना चाहिए. पर्वतारोहण कोई फन के लिए नहीं करता, जब आप इतनी बड़ी कठिनाइयां झेल सकते हैं तो जीवन में जो छोटी-छोटी घटनाएं होती हैं, उसे आसानी से झेल सकते हैं.'




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