World Tigers Day: पृथ्वी का सबसे सुंदर प्राणी बाघ है और बाघों का मध्य प्रदेश में डेरा है. इस बात पर  मध्य प्रदेश के लोगों को गर्व है. ठीक उसी प्रकार जैसे भारत देश को  बाघों की 3682 संख्या पर गर्व है. यह दुनिया में बाघों की कुल संख्या का 75 प्रतिशत हैं. मध्य प्रदेश के लिए सबसे खुशी की बात यह है कि यहां टाइगर रिजर्व के बाहर भी बाघों की संख्या बढ़ रही है. 


आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश दुनिया को बता सकता है कि मध्यप्रदेश के लोगों को अपने  बाघों पर अभिमान है और उनके सरंक्षण के लिए कुछ भी कर सकते हैं. 


सर्वाधिक बाघ मध्य प्रदेश में
मध्यप्रदेश में बाघों की आबादी 526 से बढ़कर 785 पहुंच गई है. यह देश में सर्वाधिक है. प्रदेश में चार-पांच सालों में 259 बाघ बढ़े हैं. यह वृद्धि 2010 में  कुल आबादी 257 से भी ज्यादा है. वन विभाग के अथक प्रयासों और स्थानीय लोगों के सहयोग से जंगल का राजा सुरक्षित है.  


सभी मिलकर यही संकल्प लें कि भावी पीढ़ी के लिए प्रकृति का बेहतर संरक्षण करें और  एक सह्रदय भद्र पुरुष  के रूप में  बाघों के परिवार को फलने फूलने का अनुकूल वातावरण बनाने में सहयोग करें. बाघों की पुनर्स्थापना का काम एक अत्यंत कठिन काम था, जो मध्यप्रदेश ने दिन-रात की मेहनत से कर दिखाया. 


बाघ प्रदेश बनने के कारण 
मध्य प्रदेश  के बाघ प्रदेश बनने के चार मुख्य पहलू है. पहला  गांवो का वैज्ञानिक विस्थापन.  वर्ष 2010 से 2022 तक टाइगर रिजर्व में बसे छोटे-छोटे 200 गांव को विस्थापित किया गया.  सर्वाधिक 75 गांव सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बाहर किए गए.  दूसरा है ट्रांसलोकेशन. कान्हा  के बारहसिंगा, बायसन और वाइल्ड बोर का ट्रांसलोकेशन कर दूसरे टाइगर रिजर्व में उन्हें बसाया गया. इससे बाघ के लिए भोजन आधार बढ़ा. तीसरा है हैबिटेट विकास. 


जंगल के बीच में जो गांव और खेत खाली हुए वहां घास के मैदान और तालाब विकसित किए गए जिससे शाकाहारी  जानवरो की संख्या बढ़ी और बाघ के लिए आहार भी उपलब्ध हुआ. सुरक्षा व्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव हुआ. पन्ना टाईगर रिज़र्व में ड्रोन से सर्वेक्षण और निगरानी रखी गई. वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल कर अवैध शिकार को पूरी तरह से रोका गया . क्राइम इन्वेस्टीगेशन और पेट्रोलिंग में  तकनीकी का इस्तेमाल बढ़ाया गया. 


इसका सबसे अच्छा उदाहरण पन्ना टाइगर रिजर्व है जिसका अपना ड्रोन स्क्वाड है. हर महीने इसके संचालन की मासिक कार्ययोजना तैयार की जाती है. इससे वन्य जीवों की लोकेशन खोजने, उनके बचाव करने , जंगल की आग का स्रोत पता लगाने और उसके प्रभाव की तत्काल जानकारी जुटाने,  संभावित मानव और पशु संघर्ष के खतरे को टालने, वन्य जीव संरक्षण  कानून का पालन करने में मदद मिल रही है.


वन्यजीव सुरक्षा के कारण  तेंदुओं की संख्या में भी मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है. देश  में 12 हजार 852 तेंदुए हैं. अकेले मध्यप्रदेश में यह संख्या 4100 से ज्यादा है. देश में तेंदुओं की आबादी औसतन 60% बढ़ी है जबकि प्रदेश में यह 80% है. देश  में तेंदुओं की संख्या का 25% अकेले मध्यप्रदेश में है.


ऐसे बना टाइगर स्टेट 
बाघों की गणना हर 4 साल में एक बार होती है. वर्ष 2006 से बाघों की संख्या का आंकड़ा देखें तो वर्ष 2010 में बाघों की संख्या 257 तक हो गई थी.  इसे बढ़ाने के लिए बाघों के  उच्च स्तरीय संरक्षण और संवदेनशील  प्रयासों की आवश्यकता थी.   मध्यप्रदेश को बाघ प्रदेश बनाने की कड़ी मेहनत शुरू हुई.