मध्य प्रदेश के जबलपुर में निजी अस्पताल संचालकों की मनमानी बढ़ गयी है. स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन्स को नजरअंदाज कर धड़ल्ले से अस्पताल खुल रहे हैं. संचालक मरीजों की जिंदगी दांव पर लगाकर अस्पताल में भर्ती कर रहे हैं.


करमेता स्थित संस्कारधानी अस्पताल में अचानक छापेमारी के दौरान चौंकानेवाला खुलासा हुआ. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय मिश्रा ने बताया कि पंजीयन नवीनीकरण का आवेदन निरस्त होने के बावजूद संस्कारधानी हॉस्पिटल संचालित किये जाने की शिकायत मिली थी.


लाइसेंस के बिना संचालित हो रहा था अस्पताल


बुधवार (28 मार्च) की शाम जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीम ने संयुक्त ररूप से संस्कारधानी अस्पताल का अचानक निरीक्षण किया. जांच के दौरान हॉस्पिटल में भर्ती 40 मरीजों का इलाज किया जा रहा था. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने एसडीएम आधारताल को पत्र लिखकर अवैध हॉस्पिटल के खिलाफ कार्यवाही करने की सिफारिश की है. पिछले दिनों हॉस्पिटल में एक्सपायरी डेट की दवा मरीज को देने से हंगामा मचा था.






जांच के दौरान 40 मरीजों का हो रहा था इलाज


कांग्रेस ने संस्कारधानी हॉस्पिटल के खिलाफ अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं होने पर सवाल उठाये. सीएमएचओ डॉ मिश्रा ने बताया कि जांच के दौरान निजी अस्पताल में 40 मरीज भर्ती पाये गये. संस्कारधानी अस्पताल के मैनेजर अंकुर सोनी एवं विकास सिंह से मौके पर पूछताछ की गई.


प्रबंधन को भर्ती मरीजों का उचित इलाज कर डिस्चार्ज करने और नये मरीजों को एडमिट करने पर रोक लगाने के सख्त निर्देश दिये गये. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिश्रा ने बताया कि एसडीएम आधारताल को पत्र लिखकर अवैध तरीके से अस्पताल संचालन पर कार्यवाही करने की अपील की गयी है.


उन्होंने बताया कि अवैध तरीके से अस्पताल संचालन के खिलाफ किये जा रहे धरना प्रदर्शन की जानकारी भी एसडीएम आधारताल को दी गई है. कांग्रेस नगर अध्यक्ष सौरभ शर्मा का कहना है कि प्रशासन की नाक के नीचे लंबे समय से संस्कारधानी हॉस्पिटल चल रहा था. शिकायत मिलने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग आंखे बंद किये रहा. उन्होंने कहा कि मामले में सीधे एफआईआर दर्ज होनी थी.


MP: कांग्रेस नेता नीलेश अवस्थी के BJP में आते ही कलह, MLA अजय विश्नोई ने लगाए गंभीर आरोप