Jabalpur: मौत के बाद भी पैसे के लिए निजी अस्पताल कर था बच्चे का 'इलाज'! स्थानीय लोगों ने डॉक्टर से की मारपीट
MP News: अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बकाया फीस जमा न करने पड़ी इसलिए बच्चे के परिजनों ने हंगामा किया. जबकि परिजनों का कहना है कि बच्चे की मौत के बावजूद इलाज के नाम पर पैसे लिए जा रहे थे.
Jabalpur Crime News: मध्य प्रदेश के जबलपुर (Jabalpur) शहर के एक निजी अस्पताल (Private Hospital) पर बच्चे की मौत के बाद भी बिल बढ़ाने के लिए इलाज करते रहने का आरोप लगा है.11 महीने के बच्चे की मौत के बाद परिवार वालों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया.सूचना मिलने पर ओमती थाने से पुलिस की टीम मौके पर पहुंची. उधर, अस्पताल प्रबंधन ने सभी आरोपों को गलत बताया है.
यह मामला आयुष्मान चिल्ड्रन हॉस्पिटल का है. मंडला निवासी शमशीर अली ने बताया कि उनके 11 महीने के बच्चे आशियान को तीन दिन पहले बुखार आया था. उन्होंने मंडला जिला अस्पताल में बच्चे का इलाज कराया लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो आशियान को लेकर शनिवार दोपहर को जबलपुर आ गए. उन्होंने आयुष्मान चिल्ड्रन अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए आशियान को भर्ती करा दिया. इलाज पर करीब 90 हजार रुपए खर्च करने के बावजूद जब आशियान की हालत नहीं सुधरी तो परिजनों ने डॉक्टर से उसे मेडिकल अस्पताल ले जाने की बात कही. शमशीर का आरोप है कि डॉक्टर ने कहा कि आप पैसों का इंतजाम करते रहिए,बच्चा जल्दी ठीक हो जाएगा.
बच्चे से मिलने नहीं दे रहा था अस्पताल
शमशीर अली ने बताया कि रविवार शाम से आशियान की तबीयत बिगड़ने लगी. हमने डॉक्टर से संपर्क किया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि वह ठीक हो जाएगा. हालत में किसी तरह का सुधार नहीं आया तो हमने आशियान को मेडिकल कॉलेज ले जाने की बात कही. इस पर अस्पताल प्रबंधन ने उसके कमरे का दरवाजा लगा दिया. उन्हें बच्चे से मिलने भी नहीं दिया. करीब आधे घंटे तक गुजारिश करने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज ले जाने की अनुमति दी गई. बच्चे को ले जाने के लिए जैसे ही वे वार्ड में पहुंचे तो वह अचेत अवस्था में पड़ा था. शमशीर का आरोप है कि आशियान की मौत काफी देर पहले हो गई थी. इसके बावजूद इलाज के नाम पर डॉक्टर और नर्स दवाइयां मंगवाते रहे. जब हमने कहा कि हमारे पास पैसे नहीं बचे हैं,तो नाराज हो गए. पीड़ित परिवार ने अस्पताल के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी की है.
अस्पताल में तोड़फोड़ का आरोप
वहीं, अस्पताल का प्रबंधन देख रहे प्रतीक जैन ने बताया कि विशेषज्ञ डॉक्टर बच्चे का इलाज कर रहे थे. बच्चे का दिल सिर्फ 15 प्रतिशत काम कर रहा था. उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा था. 11 महीने के बच्चे की मौत के बाद उसके परिजनों और कुछ असामाजिक तत्वों ने एक ड्यूटी डॉक्टर, नर्सों और टेक्नीशियन के साथ मारपीट की. उन्होंने अस्पताल में तोड़फोड़ करते हुए काफी हंगामा किया. अस्पताल की ओर से भी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है.
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