MP News: आधी आबादी को साधने के लिए जबलपुर बना एपीसेंटर, जानें क्या है बीजेपी-कांग्रेस का महाकौशल फतेह का प्लान
Jabalpur News: जबलपुर को महाकौशल की राजनीति का बड़ा केंद्र माना जाता है. महाकौशल इलाके से विधानसभा की 38 सीटें आती हैं, कहते हैं कि मध्य प्रदेश की सत्ता की चाबी महाकौशल की जीत से ही मिलती है.
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MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश का जबलपुर शहर अगले कुछ दिनों के लिए महिला वोटर आधारित राजनीति (Women Centric Politics) का एपिसेंटर (Apicentre) बनने जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की लगभग आधी महिला वोटर्स को एक हजार रुपये महीना देने वाली अपनी 'लाडली बहना योजना' का श्रीगणेश जबलपुर से करने जा रहे हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश में इसी तरह की योजना का खाका पेश करने वाली कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी अगले हफ्ते जबलपुर में महिला वोटरों को लुभाने के लिए आने वाली हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश में इसी साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.
जबलपुर में बीजेपी-कांग्रेस के मेगा इवेंट की क्या है वजह
सबसे पहले बीजेपी और कांग्रेस के इन दोनों मेगा इवेंट के जबलपुर में होने की वजह जान लेते हैं. जबलपुर को महाकौशल की राजनीति का बड़ा केंद्र माना जाता है. महाकौशल इलाके से विधानसभा की 38 सीटें आती हैं, जिनपर बढ़त के लिए दोनों ही पार्टियां जमकर रस्साकशी कर रही हैं. सबसे पहले कांग्रेस ने राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के जबलपुर दौरे का प्रोग्राम बनाया तो उसे काउंटर करने के लिए बीजेपी ने भी "मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना" का सबसे बड़ा इवेंट इसी शहर में करने की घोषणा कर दी. सीएम शिवराज सिंह चौहान शनिवार 10 जून को राज्य के आधे के करीब महिला मतदाताओं के खाते में एक हजारों रुपए की पहली किस्त जारी करेंगे. वहीं, कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी 12 जून को जबलपुर में नर्मदा पूजन और रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ पब्लिक रैली को भी संबोधित करेंगी.
राज्य में लगभग ढाई करोड़ महिला वोटर्स
यहां बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल 2 करोड़ 60 लाख 23 हजार 733 महिला वोटर्स हैं और 1.25 करोड़ महिलाओं को मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के तहत एक हजार रुपये महीना की क़िस्त दी जाने वाली है. हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 के रण में प्रियंका गांधी ने जो 10 गारंटियों की घोषणा की थी,उसमें महिलाओं को 1500 रुपये महीना भत्ता देने की गारंटी भी थी.
2018 में महाकौशल में बीजेपी के हाथ लगी थी निराशा
दरअसल, महाकौशल क्षेत्र में जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जिले आते हैं. यहां के परिणाम हमेशा ही चौकाने वाले रहे हैं. 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को महाकौशल इलाके से निराशा हाथ लगी थी. इसकी बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी मानी गईं थी. हालांकि, कांग्रेस ने कमलनाथ के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे रखकर चुनाव लड़ा था लेकिन कमलनाथ महाकौशल का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए कांग्रेस ने उनके गृह जिले छिंदवाड़ा की सभी 7 सीटें जीत ली थीं. इसी तरह जबलपुर में भी कांग्रेस को 8 में से 4 सीट मिली थीं. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या 2023 के चुनाव में भी कांग्रेस ऐसा ही प्रदर्शन कर पाएगी या बीजेपी को बड़ी सफलता मिलेगी? जबलपुर में शिवराज सिंह चौहान की "मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना" के बड़े इवेंट और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की नर्मदा पूजन एवं पब्लिक रैली को इस आदिवासी इलाके में महिला तथा आदिवासी वोटर्स को लुभाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है.
'महाकौशल की जीत से हाथ लगेगी सत्ता की चाबी'
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही जून माह की तपती गर्मी में "मिशन महाकौशल" के लिए पसीना बहाने जा रही हैं. माना जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में महाकौशल की 38 सीटों पर ही सत्ता का दारोमदार रहेगा. यहां 2018 में बीजेपी को मात्र 13 सीट पर ही संतोष करना पड़ा था, जबकि कांग्रेस के खाते में 24 सीटें आई थीं. एक सीट कांग्रेसी विचारधारा के उम्मीदवार ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीती थी. कांग्रेस के लिए यह प्रदर्शन 2013 चुनाव के मुकाबले डबल खुशी देने वाला था. 2013 के आंकड़े देखने पर स्पष्ट है कि बीजेपी को महाकौशल इलाके से 24 और कांग्रेस को 13 सीट मिली थीं जबकि एक स्थान पर निर्दलीय को जीत मिली थी. वहीं, पूरे प्रदेश की बात करें तो 2018 में कांग्रेस ने 114 सीट जीतकर 15 साल बाद सरकार बनाई थी, जबकि बीजेपी 109 सीट जीतकर मामूली अंतर से सत्ता से बाहर हो गई लेकिन मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके कई वफादार विधायकों की बगावत के कारण कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से शिवराज सिंह दोबारा मुख्यमंत्री बन गए थे.
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