Jabalpur News: जबलपुर के बिलहरी इलाके में संचालित एक बाल सुधार गृह में बच्चों का धर्मांतरण कराने आरोपों के बाद प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करवाई है. इस बाल सुधार गृह पर धर्मांतरण कराने का आरोप खुद राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग की टीम द्वारा लगाया गया है. आयोग ने जबलपुर के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर बाल सुधार गृह के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के निर्देश पर जबलपुर के बरेला थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई.
पढ़ाई जा रही थी बाइबल
बता दे कि नवंबर माह में राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग की टीम द्वारा बिलहरी में संचालित करुणा नवजीवन रीहेबिटेशन सेंटर का औचक निरीक्षण किया गया था. आयोग को यहां तमाम अनियमितताओं के साथ धर्मांतरण के प्रमाण भी मिले. आयोग की टीम ने 9 पन्नों की एक विस्तृत जांच रिपोर्ट में बेहद चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल सुधार गृह में बच्चों को बाइबल पढ़ाई जा रही थी. उन्हें धर्म विशेष की पूजा-अर्चना करने को मजबूर किया जाता है.
कार्रवाई के निर्देश
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बाल अधिकारों के हनन का जिक्र भी किया है. आयोग ने एक कर्मचारी के वीडियो के साथ भेजी अपनी रिपोर्ट में जिले के कलेक्टर और एसपी को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर कानूनी जांच और करवाई की अनुशंसा भी की थी. आयोग की टीम द्वारा पत्र में कहा गया कि संबंधित बाल सुधार गृह के संचालक पर मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाए. जबलपुर के कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने सोमवार को ही इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को करवाई करने के लिए निर्देश दिया था.
एफआईआर दर्ज
मामला मीडिया में आने के बाद प्रशासन भी तेजी से एक्शन के मोड़ में आ गया. कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा करुणा नवजीवन बाल सुधार गृह ,गोरैयाघट के खिलाफ बरेला थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई. एडिशनल एसपी संजय अग्रवाल ने बताया कि पुलिस ने संस्था के विरुद्ध जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 41,42 और मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून 2021 की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है.
क्या कमियां पाई गईं
थाना प्रभारी बरेला जितेन्द्र यादव ने बताया कि कलेक्ट्रेट कार्यालय जबलपुर में पदस्थ जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी एम.एल. मेहरा ने एक लिखित शिकायत की कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा 18 नवंबर को संस्था करूणा नव जीवन रिहेबिलेशन सेंटर सोसायटी जो एकता मार्केट, मण्डला रोड जबलपुर पर स्थित है, की जांच की गयी. जांच के दौरान संस्था में ये अनियमितताएं पाई गईं.
1-किशोर न्याय नियम 2015 के नियम 29 VI (B) अनुसार 7 से 11 वर्ष और 12 से 18 वर्ष की उम्र के लडकों और लडकियों के लिए अलग बाल गृह होना चाहिये लेकिन संस्था में 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकायें और अन्य लोग एक की प्रांगण रहते हुए पाए गए.
2- किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 41 के अनुसार संस्था रजिस्टर्ड होनी चाहिये लेकिन इस संस्था द्वारा अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है. बालिकाओं को उनके जैविक धर्म की जानकारी न देकर केवल एक ही धर्म के सम्बंध में पढाया जा रहा है, जो कि मध्य प्रदेश धर्मिक स्वतंत्रता कानून 2021 की धारा 3 का उल्लंघन है.
बता दें कि यह बाल सुधार गृह दिल्ली निवासी जिम डी द्वारा संचालित किया जाता है. प्रशासन को भेजी राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की रिपोर्ट में आरोप है कि यहां न केवल धर्मांतरण को बढ़ावा दिया जा रहा है बल्कि तय मापदंडों का पालन भी नहीं किया गया. बाल सुधार गृह में लड़के और लड़कियां एक साथ रहते हैं. दोनों के लिए शौचालय का अलग अलग होना भी नहीं पाया गया. समय-समय पर डॉक्टर के बाल सुधार गृह में आने की शर्त का भी पालन नहीं किया गया.
वही रिपोर्ट में जिले में बनी बाल संरक्षण समिति के भी रवैए पर सवाल खड़ा किया गया है जिसने साप्ताहिक निरीक्षण का दायित्व भी नहीं निभाया. निरीक्षण के दौरान टीम ने बाल सुधार गृह में मौजूद एक महिला का भी वीडियो रिकॉर्ड किया था जो बतलाती है कि धर्मांतरण का खेल किस तरीके से बाल सुधार गृह में चल रहा है.
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