Urban Body Elections 2022: इस बार जबलपुर में नगर सरकार के लिए मुकाबला बड़ा दिलचस्प होगा. जबलपुर नगर निगम में बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को बराबर की टक्कर देने की जुगत में लगी हैं. कांग्रेस विधायकों के भरोसे जीत की आस लगाए बैठी है तो बीजेपी को अपनी योजनाओं का सहारा है. दरअसल, जबलपुर शहर की 4 विधानसभा सीटों में से 3 पर कांग्रेस का कब्जा है. दो विधायक कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
जबलपुर में किस पार्टी की बनेगी नगर सरकार?
पश्चिम विधानसभा से आने वाले विधायक तरुण भनोट वित्त मंत्री रह चुके हैं तो पूर्व विधानसभा से आने वाले विधायक लखन घनघोरिया सामाजिक न्याय मंत्री का पद संभाल चुके हैं. दोनों ही विधायक शहर के कद्दावर नेता हैं. उत्तर मध्य विधानसभा से विनय सक्सेना कांग्रेस के विधायक हैं. इस आधार पर कांग्रेस का दावा है कि उसके विधायक इस बार नगर सत्ता का सूखा दूर कर देंगे. बीजेपी के पास सिर्फ अशोक रोहाणी कैंट विधानसभा सीट से इकलौते विधायक हैं. कैंट विधानसभा क्षेत्र का भी अधिकांश हिस्सा जबलपुर नगर निगम की सीमा से बाहर है. कांग्रेस इस लिहाज से महापौर के चुनाव में अपनी जीत का दावा ठोंक रही है.
कांग्रेस और BJP के दावों में कितना है दम?
बरगी क्षेत्र से कांग्रेस विधायक संजय यादव का कहना है कि नगर सरकार के कामकाज से जनता बेहद नाराज है. इसलिए कांग्रेस के लिए बेहतर मौके हैं. दूसरी तरफ बीजेपी की दलील है कि बीते विधानसभा चुनाव परिणामों का असर आगामी निकाय चुनाव पर नहीं पड़ेगा. बीजेपी के सांसद राकेश सिंह कहते हैं कि भले 75 फीसदी शहर में कांग्रेस विधायक काबिज हों लेकिन 15 माह की सरकार में उन्होने शहर के लिए कुछ नहीं किया. जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोक कल्याणकारी नीतियों से लाभान्वित हो रही है. लिहाजा जनता बीजेपी पर ही भरोसा जताएगी. अब किसके दावे में ज्यादा दम है ये तो चुनाव में जनता ही बताएगी लेकिन जबलपुर की सियासत अपने-अपने विधायकों के समीकरण पर खासी गर्माई हुई है.
Indore News: राजनीतिक दलों को 'फर्जी' चंदा देने पर 50 व्यवसायियों को आयकर विभाग ने भेजा नोटिस