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Jabalpur Incident: टेस्टिंग के दौरान टारगेट पर वार के बाद लौटा बम, LPR कर्मचारी के पैर के उड़े चिथड़े
जबलपुर के बम टेस्टिंग रेंज में टैंक टी-20 से 125 एमएम के गोले को फायर करने पर अचानक सैल वापस लौट आया. जिससे एक कर्मचारी के पैर के चिथड़े उड़ गए. कर्मचारी का इलाज जारी है लेकिन हालत गंभीर बनी हुई है.
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Bomb Testing Range Incident: जबलपुर के बम टेस्टिंग रेंज में सोमवार को बड़ा हादसा हो गया. सेना के भारी भरकम टैंक टी-20 से 125 एमएम के गोले को फायर किया गया तो वह निशाने पर टकराने के बाद लौट आया. इससे वहां काम कर रहा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया (OFK) के एक कर्मचारी के पैर के चिथड़े उड़ गए. उसे गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है. घायल कर्मचारी का नाम श्याम प्रसाद बताया जा रहा है.
एलपीआर के कर्मचारी संदेश देवांगन के मुताबिक आयुध निर्माणी खमरिया से सटे लॉन्ग प्रूफ रेंज में सोमवार को रोज की तरह गोला-बारूद की टेस्टिंग शुरू की गई. 12 राउण्ड फायर हो चुका था. इसके बाद जैसे ही अगला राउण्ड फायर हुआ गोला सीधे बट (कई ट्रक रेत से भरे हैवी कांक्रीट के वर्गाकार टारगेट) तक पहुंचा. यहां से अचानक सैल (बम का पिछला हिस्सा) वापस लौट आया.
कर्मचारी के पैर के उड़े चीथड़े
सैल की रफ्तार और फोर्स का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके रास्ते में जो भी चीज आई, वह तबाह होती गई. बम का सैल पेड़ के तने को फाड़ते हुए आगे बढ़ा और बिजली के पोल से टकराया. इसके बाद वह शेड के नीचे काम कर रहे आयुध कर्मी श्याम कुमार के दाएं पैर को चीरते हुए निकल गया. कर्मचारी के पैर के चीथड़े उड़ गए. आसपास मांस के टुकड़े और खून फैल गया. प्रशासन को तत्काल घटना की खबर की गई लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिल पाई. साधारण वाहन से घायल को ओएफके हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां कर्मी की हालत को देखते हुए निजी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया. उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.
25 किलो का बम, बड़ी मारक क्षमता
बता दें कि टी-90 टैंक में उपयोग किया जाने वाला बम 125 एमएम का है, जिसे काफी विध्वंसक माना जाता है. इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह दुश्मन के टैंक को भी उड़ाने की क्षमता रखता है. रफ्तार के मामले में भी इसका कोई तोड़ नहीं. यह 5 किमी के दायरे में मौजूद हर एक टारगेट को ध्वस्त कर सकता है. 25 किलो वजनी एक गोले में आयुध निर्माणी चंद्रपुर (महाराष्ट्र) में हाई क्वालिटी एक्सप्लोसिव फिल किया जाता है. इसके बाद जबलपुर के एलपीआर में उसकी टेस्टिंग की जाती है.
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