Jabalpur News Today: निजी स्कूलों और शिक्षा माफिया की सांठगांठ पर जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बड़ा खुलासा किया है. एबीपी लाइव से एक्सक्लुसिव बातचीत में सक्सेना ने कहा कि जबलपुर के अधिकांश नामी निजी स्कूलों में सी और डी कैटेगरी के प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाई करवाई जा रही है.


जबलपुर कलेक्टर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जबलपुर के अभिभावकों और छात्रों के हित में शिक्षा माफिया और स्कूलों के इस गठजोड़ को तोड़ कर रहेंगे. उन्होंने निजी स्कूलों के जरिए मनमानी फीस वसूली पर भी सख्ती करने के संकेत दिए हैं.


जबलपुर में आयोजित किया गया पुस्तक मेला
यहां बताते चले कि जबलपुर में कलेक्टर की पहल पर पिछले दिनों पहली बार एक पुस्तक मेला लगाया गया, जिसमें डिस्काउंट रेट पर कॉपी किताबों के साथ स्कूल यूनिफार्म और स्कूल बैग की बिक्री की गई. 


कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि प्रकाशकों और कापी-किताब विक्रेताओं के अलावा यूनिफॉर्म और बैग बेचने वालों की निजी स्कूलों की साठगांठ से अभिभावकों को राहत दिलाने के लिए जबलपुर में यह पुस्तक मेला आयोजित किया गया था.
 
जबलपुर में पुस्तक मेले के आयोजन की अवधि के दौरान प्रदेश के कई जिलों ने इसमें रूचि दिखाई थी और स्थानीय अधिकारियों से सम्पर्क कर इस संबंध में जानकारी भी ली थी. 


कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि यह जरूरी नहीं है, हर बार राज्य सरकार ही आदेश जारी करे और उसका पालन किया जाए. कई बार जिला स्तर पर भी कोई नवाचार होता है तो राज्य सरकार उसको प्रदेश में लागू करती है. यही पुस्तक मेले के साथ हुआ है. 


'प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगेगी रोक'
मेले की खूबियों को लेकर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि पुस्तक मेला एक ऐसा मंच है, जिसमें अभिभावकों को हर तरह की शिक्षण सामग्री कम दाम पर उपलब्ध होती है. वहीं, दुकानदारों के बीच भी एक प्रतियोगी व्यापार हो जाता है जिससे प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगी है. 


उन्होंने कहा कि इस तरह का पुस्तक मेला अब हर साल आयोजित किया जाएगा. अक्टूबर माह से ही इस पुस्तक मेले को लगाने की तैयारी शुरू हो जाएगी, जिससे मार्च में ही अभिभावकों को पुस्तक मेले का लाभ मिल सके.


'स्कूलों से जुड़ा 800 करोड़ का कारोबार'
कलेक्टर सक्सेना का कहना है कि अगले साल इस मेले को और भी बड़े रूप में आयोजित किया जाएगा. इसमें न केवल जबलपुर बल्कि आसपास के जिलों के वेंडरों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि दुकानदारों के बीच में कंपटीशन का माहौल बन सके. 


जबलपुर जिले में ही स्कूलों से जुड़ा तकरीबन 800 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार होता है. ऐसे में इतने बड़े व्यापार में शामिल होने के लिए दुकानदार भी उत्साहित रहेंगे.


प्रदेश सरकार से मिली सराहना
जबलपुर के पुस्तक मेला के इस नवाचार की राज्य सरकार ने भी तारीफ की है. सरकार के स्कूल एजुकेशन विभाग ने तय किया है कि जल्द ही पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर ऐसी पुस्तक मेले लगाए जाएंगे. राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जिला कलेक्टरों को दिये गये निर्देशों में कहा गया है कि अगर उनके जिले में निजी स्कूलों, प्रकाशकों और किताब विक्रेताओं की साठगांठ के कारण विद्यार्थियों और अभिभावकों को परेशानी हो रही है तो स्थानीय परिस्थितियों का आंकलन कर प्रत्येक जिले में उपयुक्त स्थान का चयन कर यथाशीघ्र इसका आयोजन किया जाये. 


मेले में चुनाव आचार संहिता के पालन का आदेश
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कहा गया है कि पुस्तक मेला में कॉपी-किताबों के साथ-साथ यूनिफार्म और अन्य शैक्षणिक सामग्री के स्टॉल भी प्रकाशकों, विक्रेताओं से लगवाये जायें, ताकि एक ही स्थान पर सभी सामग्री उचित और न्यूनतम दर पर उपलब्ध हो सके. 


कलेक्टरों को पुस्तक मेले के आयोजन में चुनावी आदर्श आचार संहिता का विशेष ध्यान रखने को कहा गया है. स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आदेश पत्र में बताया गया है कि पुस्तक मेले के आयोजन कि अनुमति भारत निर्वाचन आयोग से प्राप्त कर ली गई है.