Jabalpur Builder Fraud: जबलपुर में एक बिल्डर का गजब कारनामा सामने आया है. बिल्डर ने न केवल सरकारी जमीन पर हाईराईज बिल्डिंग तानी बल्कि उसके दो दर्जन फ्लैट बेच भी दिए. इस मामले में एसडीएम गोरखपुर दिव्या अवस्थी ने आदेश में कहा है कि खाद्य विभाग के नाम पर दर्ज संबंधित जमीन शासकीय है और यही वजह है कि अपीलार्थियों का दावा खारिज किया जाता है. गौरतलब है कि इसी भूमि पर बिल्डर सरबजीत सिंह मोखा ने अमृत हाइट्स प्रोजेक्ट की मल्टी स्टोरी बल्डिंग बनाई है.


एसडीएम कोर्ट ने तहसीलदार के आदेश को ठहराया सही


आगा चौक समीप स्थित इस जमीन के मामले में लंबी सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद एसडीएम दिव्या अवस्थी ने तहसीलदार के आदेश पर अपनी मुहर लगा दी. तहसीलदार के पिछले आदेश को सही मानते हुए एसडीएम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि खसरा नंबर 259-1 रकबा 1.100 हेक्टेयर पर खाद्य विभाग का नाम दर्ज है और भूमि भू-अर्जन के संलग्न दस्तावेजों, नक्शा, राजस्व निरीक्षक, हल्का पटवारी के पेश ट्रेस नक्शे से साबित होता है कि इस पर अपीलार्थियों का भवन (अमृत हाइट्स) बना है. एसडीएम कोर्ट ने ये भी माना है कि अपीलार्थियों की ओर से पेश किए गए साक्ष्य और दस्तावेज सभी सारहीन हैं. कुल मिलाकर पूरी सुनवाई के बाद पाया गया कि अपीलार्थियों के जरिए खाद्य विभाग की अर्जित भूमि पर कब्जा करना पूरी तरह अवैध है. एसडीएम अवस्थी ने निष्कर्ष में कहा है कि अधारताल तहसीलदार की ओर से 20 नवंबर 2020 को दिया गया आदेश न्याय की मंशा के अनुकूल है.


बिल्डर ने खड़ी की सरकारी जमीन पर आलीशान इमारत


लिहाजा उसमें हस्तक्षेप की तनिक भी गुंजाइश नहीं है. इसलिए अपीलार्थियों की अपील अस्वीकार की जाती है. पता चला है कि जिस जमीन का नामांतरण किया गया था उस पर पहले से ही लोग काबिज थे, लेकिन किसी कारण राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज नहीं करा पाये. इस भूमि के भू-स्वामी दत्तात्रेय राम थे, लेकिन भूमि पर नंदू विश्वकर्मा का वर्षों से कब्जा था. इसका फायदा उठाकर उसने कब्जे वाली भूमि पर अपना नाम दर्ज करवा लिया और सरकारी भूमि पर बिल्डर सरबजीत सिंह मोखा के साथ मिलकर बिल्डिंग खड़ी कर दी. तहसीलदार ने अपने आदेश में कहा था कि 22 हजार 825 वर्गफीट भूमि पर तत्कालीन तहसीलदार अशोक व्यास ने नरेन्द्र उर्फ नंदू विश्वकर्मा का नाम दर्ज करने का आदेश दिया था, जबकि भूमि सरकारी थी.


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रिकॉर्ड दुरुस्त न होने के कारण नामांतरण आदेश जारी कर दिया गया था. आदेश जारी होने के बाद तहसीलदार ने ही इसे रिव्यू में ले लिया था. इसके कारण उस पर कोई फैसला नहीं किया गया था. यही वजह है कि लगभग 10 साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस प्रकरण की फिर से सुनवाई फरवरी 2020 से शुरू की गई. सुनवाई के दौरान आवेदक ने अपना पक्ष रखा और कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में उसका नाम दर्ज है और कई विभागों से अनुमति लेने के बाद बिल्डिंग का निर्माण किया गया है. आगा चौक के पास स्थित अमृत हाइट्स में 9 फ्लोर हैं जिसमें 2 और 3 बेडरूम के कुल 76 फ्लैट बनाये गए हैं. विवाद के बाद भी कई लोगों ने अपनी जमा पूंजी फंसा दी और फ्लैट ले लिये. कई फ्लैट्स इस बिल्डिंग के बिक चुके हैं और बहुत से लोगों ने अपना आशियाना भी बना लिया है.