Defamation Case: सीएम शिवराज समेत तीन नेताओं को जबलपुर कोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानिए क्या है मामला?
Defamation Case: जबलपुर की अदालत ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और उनके दो कैबिनेट सहयोगी से जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी.
Defamation Case: मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव (MP Panchayat Chunav) में ओबीसी आरक्षण के मसले (OBC Reservation Issue) पर कांग्रेस सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा (Senior Advocate Vivek Tankha) पर राजनीतिक हमला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को महंगा पड़ता दिख रहा है. विवेक तन्खा ने शिवराज के अलावा कैबिनेट सहयोगी भूपेंद्र सिंह (Bhupendra Singh) और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा (VD Sharma) को 10 करोड़ की मानहानि केस (Defamation Case) पर अदालत में घसीट लिया है.
सीएम शिवराज समेत तीन नेताओं को नोटिस जारी
कांग्रेस नेता और राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा पर गलत बयानी के मामले में जबलपुर की जिला अदालत (Jabalpur District Court) ने नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, कैबिनेट सहयोगी भूपेंद्र सिंह और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 25 फरवरी को रखी गई है. नोटिस जारी होने के बाद विवेक तन्खा ने ट्वीट कर कहा, "मुझे मेरे वकीलों (वाजिद हेडर जी) से सूचना प्राप्त हुई है कि आज हमारे 10 CR की मानहानि के दावा में जबलपुर कोर्ट ने सीएम और अन्य प्रतिवादी पक्षकार को जवाब प्रस्तुत करने के लिए नोटिस आदेशित किया है. अगली पेशी 25 फरवरी. न्याय के हाथ धीमे जरूर हैं, मगर लंबे हैं.#न्याय"
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा
विवेक तन्खा की ओर से वकील शशांक शेखर ने क्रिमिनल और सिविल सूट फाइल कर 10 करोड़ रुपए मानहानि का दावा किया था.उन्होंने कोर्ट में कहा कि ओबीसी मामले में सीएम शिवराज सिंह, मंत्री भूपेंद्र सिंह और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने गलत बयानी कर वादी विवेक तन्खा की छवि धूमिल करने का प्रयास किया. कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा पर मिथ्या आरोप लगाए गए. उनकी छवि ओबीसी विरोधी बताने की कोशिश की गई. इस मामले में विवेक तन्खा की ओर से लीगल नोटिस जारी कर सीएम सहित तीनों नेताओं से सार्वजनिक माफी मांगने के लिए कहा गया था. तीनों नेताओं ने अपनी गलती भी नहीं स्वीकार की. इस कारण उन्हें कोर्ट की शरण में आना पड़ा. वादी विवेक तन्खा के वकील शशांक शेखर ने बताया कि मेरे पक्षकार पर ओबीसी मामले में गलत बयानी की गई. उनके बारे में वो बातें कही गई, जो मेरे पक्षकार ने न तो याचिका में लगाई थी और न ही सुप्रीम कोर्ट में कानूनी बहस के दौरान ही ऐसा कुछ बोला था.
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