Jabalpur News: जबलपुर के जिला अस्पताल के हाल बेहाल हैं. यहां लंबे समय से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पिछले करीब आठ महीने से अस्पताल में एक्सरे फिल्म नहीं है और मरीजों को मोबाइल पर रिपोर्ट दी जा रही है. इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी सरकार के सिर पर ठीकरा फोड़ रहे है और कह रहे है कि फिल्म भोपाल (Bhopal) से नहीं मिल रही है.
फिल्म की खरीदी नहीं हो पाई
जबलपुर के सेठ गोविंददास जिला अस्पताल में एक्सरे जांच होने के बाद मरीजों को रिपोर्ट नहीं दी जा रही है. जिन मरीजों के पास मोबाइल होता है, उनको ही जुगाड़ू से रिपोर्ट दी जाती है. यह जुगाड़ होता है मोबाइल के कैमरे से फोटो खींचना. जिनके पास मोबाइल नहीं होता वे बिना रिपोर्ट के ही घर लौट जाते हैं. यह हालात पिछले 8 महीनों से अधिक समय से बने हुए हैं. नियमों के मुताबिक एक्सरे फिल्म अगर खत्म हो गई है तो उसकी खरीदी की जाना चाहिए लेकिन जिला अस्पताल अब तक इसकी खरीदी नहीं कर पाया है. इसकी वजह से मरीजों को मोबाइल पर फोटो खींचकर दिये जा रहे हैं.
मरीज हो रहे परेशान
डॉक्टर भी जैसे-तैसे मोबाइल पर खींची गई तस्वीर में एक्सरे रिपोर्ट को देखकर इलाज कर रहे हैं. जिनके पास मोबाइल नहीं है वे और ज्यादा परेशान हो रहे हैं. ऐसे ही एक मरीज रामलाल साहू अपने घुटने में दर्द के लिए एक्सरे कराने के बाद उसकी रिपोर्ट के लिए भटक रहे थे. उनके पास कीपैड वाला मोबाइल था और वो दूसरे से एंड्राइड फोन मांग रहे थे ताकि रिपोर्ट लेकर डॉक्टर को दिखा सके.
हाई टेक मशीन लेकिन सिस्टम लाचार
सरकारी अस्पतालों में आजकल स्वास्थ्य और चिकित्सा व्यवस्था से जुड़ी मशीनें उच्च स्तर की हैं लेकिन उन्हें चलाने की व्यवस्था बेहद खराब है. जिला अस्पताल के एक्सरे विभाग में हाईटेक मशीनों को लगाया गया है लेकिन इलाज के हालात अब भी नहीं सुधरे हैं. हाईटेक मशीन होने के बावजूद लचर व्यवस्था के कारण एक्सरे फिल्मों का संकट है.
डॉक्टर नहीं दे पाते सही ओपिनियन
जिला अस्पताल में एक्सरे करने के बाद मोबाईल से फोटो खींचकर मरीज को दे दी जाती है. इसमें सबसे ज्यादा परेशानी उन मरीजों को आ रही है, जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं हैं. ऐसे में डॉक्टर को रिपोर्ट दिखाने में उनके पसीने छूट जाते हैं. दूसरी तरफ मोबाइल से खींचे गए एक्स-रे की क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं होती कि उसे देखकर आसानी से मर्ज पकड़ा जा सके. डॉक्टर भी सही ओपिनियन नहीं दे पाते हैं.
हर दिन 200 से ज्यादा एक्सरे
एक्स रे फिल्म खत्म होने के बावजूद जिम्मेदार कोई प्रयास ही नहीं कर रहे हैं. जिला अस्पताल में हर दिन लगभग 200 से अधिक मरीजों का एक्सरे होता है लेकिन रिपोर्ट उन्हें मोबाइल पर दी जा रही है. जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ रत्नेश कुरारिया का कहना है कि भोपाल से केंद्रीय खरीदी प्रक्रिया अटकने की वजह से यह परेशानी हुई है. अभी मोबाइल पर एक्सरे की जांच दी जाती है, जिन मरीजों के पास एंड्रायड मोबाइल फोन नहीं उन्हें परेशानी हो रही होगी.
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