Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में एमएसपी पर धान उपार्जन में गड़बड़ियों के पर्दाफाश होने का सिलसिला जारी है. इस फर्जीवाड़े में मिलीभगत करने वाले अधिकारियों पर हर दिन गाज गिर रही है. अब इसकी जद में राजस्व विभाग के अधिकारी भी आ गए हैं. कलेक्टर दीपक सक्सेना ने गुरुवार (11 जनवरी) को एक एसडीएम और एक तहसीलदार को आरोप पत्र थमाया है.
प्रशासन की ओर से बताया गया है कि मझौली में फर्जी सिकमीनामों (खेती करने का किरायानामा) के जरिए किसानों के सत्यापन में गंभीर लापरवाही बरतने पर सिहोरा के तत्कालीन एसडीएम धीरेन्द्र सिंह और प्रभारी तहसीलदार आदित्य जंघेला को आरोप पत्र (Charge Sheet) जारी किए गए हैं. इसके अलावा दो पटवारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है. वहीं कई और अधिकारियों को निशाने पर लिया गया है. माना जा रहा है कि जल्द ही उन पर भी कठोर कार्रवाई की जा सकती है.
लापरवाही बरतने पर हुई कार्रवाई
दरअसल समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन के लिए कराए गए पंजीयनों के सत्यापन में अनियमितता बरतने के मामले में नवागत कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर कार्रवाई की जा रही है. पंजीयन के सत्यापन में अनियमितता के मामले में दो पटवारियों को निलंबित कर दिया गया है. निलंबित पटवारियों में मझौली तहसील के हल्का नंबर 1, 7 और 10 के पटवारी राहुल पटेल और इसी तहसील के हल्का नंबर 13 के पटवारी अभिषेक कुमार विश्वकर्मा शामिल हैं. पंजीयन के सत्यापन में अनियमितता बरतने के मामले में विभागीय जांच भी होगी.
संतोषजनक नहीं मिला नोटिस का जवाब
वहीं अपर कलेक्टर नाथूराम गौंड के मुताबिक पंजीयनों के सत्यापन के अनियमितता के मामले में आरोप पत्र जारी करने के पहले तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व धीरेन्द्र सिंह और मंझौली के प्रभारी तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गये थे. इनके द्वारा नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने पर विभागीय जांच संस्थित कर आरोप पत्र जारी कर दिए गए हैं. अपर कलेक्टर गौंड ने बताया कि निलंबित पटवारियों के खिलाउ भी विभागीय जांच संस्थित की जा रही है. उन्होंने बताया कि सिहोरा अनुविभाग की मझौली तहसील में बिना आवेदन और जरूरी दस्तावेजों के कई पंजीयन सिकमीनामा के आधार पर कर दिए गये थे, जिसमें राजस्व अधिकारियों ने लापरवाही बरती थी.
चोरी-छिपे बेंच दिए धान
बताया जा रहा है कि जिन 22 वेयर हाउसों में भारी मात्रा में बिना अनुमति धान एकत्र किए गए थे, उसे अब उपकेन्द्रों में बेचने की व्यवस्था की गई है. उससे पहले उसकी कई मर्तबा जांच भी हो रही है. इसका कारण यह है कि कई वेयर हाउसों में जो धान रखे गए थे, उसकी गुणवत्ता बेहद खराब थी. जांच और कार्रवाई के डर के चलते अनेक वेयर हाउसों से धान गायब कराए गए और समितियों के जरिए गुपचुप तरीके से उन्हें बेच दिया गया. इस धान की न तो जांच कराई गई और न ही ठीक से तौला गया. बताया जा रहा है कि बड़ी मात्रा में नॉन एफएक्यू धान कई वेयर हाउसों में पहुंच गए हैं और अब उन्हें बाकी धानों में मिलाया जा सकता है.