Madhya Pradesh: मेडिकल एजुकेशन के हिसाब से जबलपुर को मिली बड़ी सौगात, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होगी दूर
जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. एनएमसी ने नए सुपर स्पेशिएलिटी कोर्सेस पढ़ाने की अनुमति दे दी है.
Jabalpur News: मेडिकल एजुकेशन के हिसाब से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) शहर ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यहां अब पल्मोनरी मेडिसिन में डीएम (Doctor Of Medicin) की 6 नई सीटें नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने स्वीकृत की है. यह देश में किसी एक इंस्टिट्यूट में डीएम की सर्वाधिक संख्या है. इसके साथ ही पीडियाट्रिक सर्जरी और यूरोलॉजी में पहली बार एमसीएच की पढ़ाई भी शुरू होगी. विशेषज्ञ इसे जबलपुर में मेडिकल एजुकेशन के हिसाब से मील का पत्थर मान रहे हैं.
कहा जा रहा है कि सुपर स्पेशिएलिटी चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज (Netaji Subhash Chandra Bose Medical College) को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. एनएमसी ने नए सुपर स्पेशिएलिटी कोर्सेस पढ़ाने की अनुमति दे दी है. स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ जितेंद्र भार्गव ने बताया कि, उनके विभाग को बहुप्रतीक्षित शुभ समाचार प्राप्त हुआ है. यहां पल्मोनरी मेडिसिन की डीएम की 6 सीटें स्वीकृत की गई हैं. यह एक विभाग में देश में सीटों की सबसे ज्यादा संख्या है.
दो-दो सीटें पीडियाट्रिक और यूरोलोजी के लिए मंजूर
इसी तरह एनएमसी ने एमसीएच (MCH) की दो-दो सीटें पीडियाट्रिक और यूरोलॉजी के लिए मंजूर की है. नए कोर्सेस को अनुमति मिलने के बाद अब मेडिकल कॉलेज में कुल चार सुपर स्पेशिएलिटी कोर्सेस की पढ़ाई होगी. न्यूरोलॉजी में पहले से ही दो सीटों पर अध्ययन कराया जा रहा था. करीब 1 महीने पहले नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की टीम ने जबलपुर मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था. एक पखवाड़ा पहले ही एमबीबीएस की सीटें बढ़ाकर 250 करने की अनुमति भी एनएमसी द्वारा दी गई थी.
बच्चों के सर्जन की कमी होगी दूर
पीडियाट्रिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. विकेश अग्रवाल के मुताबिक, मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में पीडियाट्रिक सर्जन्स की संख्या कम है. इसका असर शिशु मृत्यु दर पर दिखाई देता है. जन्म लेने वाले करीब 10 फीसदी बच्चों को किडनी, छाती समेत अन्य सर्जिकल समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में पीडियाट्रिक सर्जन की भूमिका महत्वपूर्ण है. विभाग में एमसीएच की दो सीटें शुरू होने का फायदा पूरे महाकोशल क्षेत्र को मिलेगा.