MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और महाराष्ट्र (Maharashtra) के आदिवासी इलाकों को जोड़ने वाली जबलपुर-गोंदिया रेल लाइन को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. इस रेल लाइन के दोहरीकरण (Doubling of Jabalpur-Gondia Line) के लिए रेलवे (Indian Railway) ने फाइनल लोकेशन सर्वे (Final Location Survey) को मंजूरी दे दी है. राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा (Vivek Tankha) ने इस फैसले का स्वागत किया है.
रेलवे बोर्ड (Railway Board) द्वारा साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे बिलासपुर (South East Central Railway) के जनरल मैनेजर को भेजी गई चिट्ठी के मुताबिक जबलपुर गोंदिया के बीच 238 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग के दोहरीकरण के फाइनल लोकेशन सर्वे को मंजूरी दे दी गई है. इसके लिए फिलहाल 4 करोड़ 77 लाख का बजट मंजूर किया गया है. माना जा रहा है कि फाइनल लोकेशन सर्वे के बाद अगले आम बजट में जबलपुर-गोंदिया रेल लाइन के दोहरीकरण के लिए बजट स्वीकृत कर दिया जाएगा. इस फैसले पर विवेक तंखा ने ट्वीट किया, 'अच्छी खबर जबलपुर के लिए.चुनाव के ख़ातिर सर्वे तो प्रारंभ किया.सालो से कोई सुनने वाला नहीं था."
100 साल तक चली नैरो गेज ट्रेन
यहां बताते चले के जबलपुर-गोंदिया के बीच ब्रिटिश कालीन नैरोगेज ट्रेन तकरीबन 100 सालों तक चलती रही. इसके बाद गेज परिवर्तन का काम 23 वर्षों तक चला. दक्षिण पूर्व मध्य रेल,बिलासपुर के तहत आने वाली जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज नई लाइन पर बेहद धीमी गति से काम हुआ. सिंगल लाइन बनने में 23 साल लग गए. इस रेल मार्ग से उत्तर से दक्षिण भारत के बीच की दूरी तकरीबन 260 किलोमीटर घट गई है. फिलहाल इस ट्रैक पर गिनती की गाड़ियों का परिचालन हो रहा है. लंबी दूरी की सुपर फास्ट यात्री गाड़िओं को दौड़ाने के लिए रेल मार्ग के दोहरीकरण की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी.
जबलपुर से चेन्नई की दूरी 260 किमी घटेगी
बताया जाता है कि यह रेलवे ट्रैक बेहद घने जंगलों से होकर गुजरता है और यात्रा के दौरान नैसर्गिक और प्रकृतिक खूबसूरती के दर्शन भी होते है. कान्हा और पेस्ट टाइगर रिजर्व जाने के लिए भी इसी रेल मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है. इस मार्ग से जबलपुर (Jabalpur) से चेन्नई (Channai) की दूरी 1370 किमी है. वहीं, जबलपुर से इटारसी होकर चेन्नई जाने पर 1630 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. इस ट्रैक से चेन्नई की दूरी 260 किमी कम हो जाती है.
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