Jabalpur News: मध्य प्रदेश में स्थित जबलपुर में दूसरों को न्याय दिलाने के लिए कोर्ट की दहलीज पर पैरवी करने वाले अधिवक्ता अपने हित की लड़ाई ही नहीं लड़ पा रहे हैं. चार साल पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि राज्य अधिवक्ता परिषद (स्टेट बार काउंसिल ) से सनद लेने वाले नए वकीलों को कोर्ट चेम्बर के फर्नीचर के लिए 25 हजार रुपये दिए जाएंगे, लेकिन ये वादा आज भी हवा-हवाई है. प्रदेश में हर साल लॉ की पढ़ाई पूर्ण कर तीन हजार नए वकील बनते है.



साल 2012 में हुई अधिवक्ता महापंचायत में मध्य प्रदेश सरकार ने एलएलबी पास कर वकालत शुरू करने वाले वकीलों को काम शुरू करने के लिए 12 हजार रुपये मदद देने की घोषणा की थी. साल भर बाद इस पर अमल शुरू हुआ और वकीलों को यह राशि मिलने भी लगी. इसके बाद चुनावी साल 2018 में मुख्यमंत्री चौहान ने घोषणा करते हुए कहा था कि अब नए वकीलों को 12 के बजाय 25 हजार रुपये दिए जाएंगे, लेकिन इसके आदेश के चार साल बाद भी प्रदेश सरकार की अधिवक्ता ट्रस्ट कमेटी के पास नहीं पहुंचे हैं. 2018 से अब तक एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर राज्य अधिवक्ता परिषद से सनद लेने वाले 18 हजार 630 वकीलों को बढ़ी हुई राशि नहीं दी गई है. इनमें से करीब आठ हजार अधिवक्ताओं को तो पुरानी घोषणा के मुताबिक 12-12 हजार रुपये भी नहीं मिल पाए हैं.


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क्या कहा जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेश तिवारी ने?
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेश तिवारी का कहना है कि वकीलों हित में घोषणाएं कर उन्हें विस्मृत कर दिया जाता है. कोई स्मृति में लाए तो भी पूरी तरह अमल नहीं होता है. फिर चाहे वह घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा ही क्यों न की गई हो. चार साल पहले सीएम ने कहा था कि 2018 के बाद से एलएलबी की पढ़ाई कर राज्य अधिवक्ता परिषद (स्टेट बार काउंसिल माया ) से सनद लेने वाले नए वकीलों को कोर्ट चैंबर के फर्नीचर के लिए 25 हजार रुपये दिए जाएंगे. पहले सरकार 12 हजार रुपये देती थी. इसमें 13 हजार रुपये का इजाफा किया गया था, लेकिन 2018 के बाद से अभी तक किसी वकील को 25 हजार रुपये नहीं दिए गए. जो पहले के 12 हजार रुपये दिये जाते हैं, उसे भी देने में देरी की जा रही है. इससे पहले भी कभी वकीलों के चैंबर के लिए जमीन देने तो कभी अदालत में उनके लिए फर्नीचर की व्यवस्था करने और कभी एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की बातें हुई, लेकिन सभी बातें हवा हवाई ही साबित हुईं.

अधिवक्ता संगठनों का कहना है कि पैसा बढ़ाने का काम अधिवक्ता ट्रस्ट कमेटी के स्तर पर नहीं होता. जब तक इसके लिए लिखित आदेश नहीं मिलता, तब तक पुराने हिसाब से ही राशि दी जाती है. बताया जाता है कि नए वकीलों को सनद लेने में को निजी ऑफिस सेटअप के साथ ही लाइब्रेरी के लिए सरकार 12 हजार रुपये का अनुदान देती है. इसके लिए सरकार के पास 1343 प्रस्ताव आए थे. इनमें से 200 को हाल ही में मंजूरी दी गई है. 1143 प्रस्ताव बजट की कमी के कारण लंबित हैं.

क्या कहा स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष आर.के. सैनी ने?
स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष आर.के. सैनी कहते है कि 2018 में भोपाल में सीएम ने वकीलों के फर्नीचर के लिए 25 हजार देने की घोषणा की थी. वे भी उस मीटिंग में थे, लेकिन अभी तक 12 हजार ही मिल रहे हैं. सीएम ने अपनी घोषणा पूरी नहीं की. वहीं,जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेश तिवारी का कहना है कि अधिवक्ताओं की रजिस्ट्रेशन फीस तो बढा दी गई है किंतु उनका अनुदान नहीं बढ़ाया गया है. इसके लिए सरकार को पत्र लिखा जा रहा है. प्रदेश के तमाम लॉ कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद जिला कोर्ट, हाई कोर्ट और अलग-अलग न्यायालयों में बतौर वकील प्रैक्टिस करने के लिए हर साल औसतन 3 हजार नए अधिवक्ता सनद लेते हैं. 2010 के नियम के मुताबिक राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा उन्हें यह सनद बार काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा के बाद दी जाती है. हालांकि पिछले चार सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो 2021 में नए वकीलों की संख्या दोगुनी थी.