Jabalpur News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बने अवैध धर्म स्थलों (Illegal Religious Places) को हटाने को लेकर प्रशासनिक ढिलाई पर अब जबलपुर हाई कोर्ट (High Court) ने सख्ती दिखाई है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने अवैध धर्म स्थल मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के आरोप पर सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं. डिवीजन बेंच ने अवैध धर्म स्थल हटाए जाने के मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश नहीं करने पर भी नाराजगी जताई है. अवमानना मामले में जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है.


दायर की गई थी याचिका
यहां बता दें कि सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर अवैध धर्म स्थल मामले में जबलपुर निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा की ओर से वर्ष 2014 में अवमानना याचिका दायर की गई थी. मामले में सतीश वर्मा स्वयं अपना पक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट ने भी वर्ष 2018 में स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी. इसके अलावा जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सामने सरकारी जमीन पर मंदिर बनाने के खिलाफ भी एक जनहित याचिका दायर की गई है.


चौड़ीकरण में बाधक बने हैं 64 धर्म स्थल
याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई के दौरान जानकारी दी गई कि जबलपुर शहर में सड़क चौड़ीकरण और फुटपाथ निर्माण में 64 अवैध धर्म स्थल बाधक बने हुए हैं. अवैध धर्मस्थलों को हटाने में हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. राजनीतिक दबाव में कलेक्टर अवैध धर्म स्थल हटाने की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. 


हटाए गए धर्म स्थलों का फिर हो रहा निर्माण
सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच को यह भी बताया गया कि हाई कोर्ट के आदेश पर जिन 11 अवैध धर्म स्थलों को हटाया गया था, उनका फिर से निर्माण किया जा रहा है. कैंट क्षेत्र में बचे हुए अवैध धर्म स्थलों को हटाने के लिए कलेक्टर को पत्र लिखने के बाद पुलिस बल नहीं उपलब्ध कराया गया. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट भी पेश नहीं की गई. सरकार की ओर से सिर्फ इतना कहा गया कि अवैध धर्म स्थलों का सर्वे किया जा रहा है. सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने संबंधित अधिकारियों पर अवमानना के आरोप तय करने के निर्देश दिए हैं.


यह भी पढ़ें : Coronavirus Cases: MP में बढ़ रहे कोरोना केसेस पर मंत्री विश्वास सारंग का बयान, कहा- 'टेस्टिंग जारी, चिंता की बात नहीं'