जबलपुर: आठ जिंदगियां लेने वाले अग्निकांड के बाद जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की अनुमति को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. इनसे पता चलता है कि अस्पताल बिना फायर एनओसी के अनफिट बिल्डिंग में चल रहा था. युवा अधिवक्ता विशाल बघेल ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में इससे जुड़ी एक दायर याचिका भी दायर की है.


अस्पताल में सोमवार को हुए अग्निकांड ने इससे जुड़ी प्रशासनिक अनुमतियों से जुड़े दस्तावेजों ने सनसनीखेज खुलासा कर दिया है. विशाल बघेल को आरटीआई के तहत मिले दस्तावेज बताते हैं कि अनफिट बिल्डिंग में ही अस्पताल संचालित हो रहा था. इसमें एंट्री और एग्जिट गेट एक ही था. तमाम मापदंडों को दरकिनार करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों ने अस्पताल को बकायदा अनुमति भी दे दी जबकि नियमों के तहत कहीं से भी भवन अस्पताल संचालित करने लायक नहीं था. कोरोना काल में जारी हुए इस अस्पताल के लाइसेंस को लेकर एक महत्वपूर्ण याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में विचाराधीन है और अदालत में पेश किए गए दस्तावेज इस बात की पुष्टि भी कर रहे हैं.


ये हैं अस्पताल के फर्जीवाड़े से जुड़े कुछ तथ्य



  • अस्पताल संचालक ने अस्पताल का लाइसेंस प्राप्त करने हेतु जो आवेदन जिला मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी (CMHO) के समक्ष प्रस्तुत किया उसमें नियमानुसार बिल्डिंग कम्पलीशन प्रमाण पत्र के स्थान पर एक प्राइवेट लेआउट लगाया गया है.

  • इससे साफ है कि उक्त भवन में अंदर जाने व बाहर आने का सिर्फ एक ही मार्ग उपलब्ध था.

  • इसके बावजूद सीएमएचओ और तत्कालीन जांच टीम ने बिल्डिंग का स्वीकृत ले आउट देखे बिना उक्त अस्पताल नियमानुसार बता पंजीयन जारी किया गया था.

  • अस्पताल संचालक के पास नियमानुसार भवन में आगजनी की स्थिति में दमकल वाहन के आने-जाने के लिए निर्धारित 3.6 मीटर साईइ स्पेस नहीं था.

  • अनफिट होने के बाबजूद अस्पताल/नर्सिंग होम का पंजीयन दिया गया, जो कि मप्र उपचर्यागृह और रूजोपचार नियम 1997, मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम 2012 और नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 भाग-3, भाग- 4 के विपरीत है.

  • उक्त अस्पताल के भवन अनफिट होने के बावजूद अगस्त 2021 में शासन के आदेश पर समस्त अस्पतालों के निरीक्षण करने गठित 6 सदस्य कमेटी द्वारा भी अपनी रिपोर्ट में इस अस्पताल द्वारा समस्त नियमों का पालन करना बताया गया था.

  • बिल्डिंग पूर्णता प्रमाण पत्र रिकार्ड में न होने के बावजूद भी फर्जी लेख से खानापूर्ति की गई.


अब सवाल उठता है कि आखिर कौन है 8 लोगों की मौत का ज़िम्मेदार? सरकार ने फिर एक जांच कमेटी बना दी है, लेकिन पहले के अधिकारी आंख बंद करके अस्पताल को अनुमति देते रहे और अब यह भी सवाल उठ रहा है कि ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारियों को न्याय के कटघरे तक कौन ले जाएगा?


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