Mohan Bhagwat Remark: मोहन भागवत के बयान पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बोले- 'यह कहना बिल्कुल गलत है कि...'
Jabalpur News: धार्मिक कार्यक्रम में जबलपुर आए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने खुद कहा है कि उन्होंने चार वर्ण बनाए हैं. इस पर बयानबाजी उचित नहीं है.
RSS Chief Mohan Bhagwat Statement: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के वर्ण व्यवस्था पर दिए बयान का विरोध थम नहीं रहा है. ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Jyotish Peeth Shankaracharya Avimukteshwaranand) ने मोहन भागवत Mohan Bhagwat) को फिर आड़े हाथों लिया है. शंकराचार्य ने कहा कि भारत में जाति व्यवस्था का वर्णन उस गीता में लिखा है, जिसे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) को सौंपी थी. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि उन्होंने चार वर्ण बनाए हैं. वर्णों के हिसाब से उनको समाज में जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इस पर बयानबाजी करना उचित नहीं है.
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मोहन भागवत से क्या जानना चाहा ?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जबलपुर (Jabalpur) में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत से जानना चाहा कि वर्ण व्यवस्था से संबंधित अध्ययन कहां से किया. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का कहना कि वर्ण व्यवस्था पंडितों ने शुरू की है बिल्कुल गलत है. बाद में सफाई आई कि पंडित से आशय विद्वान से है. शंकराचार्य ने सवाल किया कि अगर विद्वानों ने वर्ण व्यवस्था बनाई है तो फिर उसे कैसे चुनौती दी जा सकती है? मोहन भागवत से माफी की मांग के सवाल पर उन्होंने कहा कि माफी मांगे या ना मांगे, लेकिन उनकी भद्द वैसे ही पिट चुकी है. ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कांग्रेस (Congress) को भी बड़ी सलाह दी है.
राजनीतिक दलों को धर्म पर बयानबाजी करने से बचने की दी सलाह
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले अपना जनाधार मजबूत करे फिर किसी पर चुटकी ले. वर्तमान में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब है और किसी पर चुटकी लेने की हालत में नहीं है. धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने आए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने वर्तमान में राजनीतिक दलों की धर्म पर राजनीति को गलत बताया. उन्होंने सलाह दी कि राजनीतिक दलों को केवल राजनीतिक मुद्दों पर बयानबाजी करनी चाहिए ना कि धर्म पर. रामचरितमानस विवाद (Ramcharitmanas Row) पर भी शंकराचार्य ने कहा कि रामायण पर विवाद करने वाले लोग राजनीतिक हैं ना कि रामायण के जानकार. उन्होंने रामायण पर अध्ययन नहीं करनेवालों को बयानबाजी से दूर रहने की सलाह दी.