MP News: किसी भी टाइगर रिजर्व के जंगल के अंदर जिप्सी में घूमते समय जैसे ही आपका गाइड कहता है कि, सर उधर देखिए, वो रहा 'जंगल का राजा शेर' तो आपकी आंखे कौतूहल भरी खुशी से चौड़ी हो जाती हैं. जंगल में शेर और अन्य शानदार जानवरों को देखकर आपका मन प्रसन्नता से भर जाता है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि शेर दिखाने और जंगल के चप्पे-चप्पे से आपको वाकिफ कराने वाला वह गाइड भी क्या सचमुच में खुश है. आज हम आपको टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क के इन्ही गाइड्स की दुख और तकलीफों से वाकिफ कराने वाले है.


153 है गाइड्स की संख्या
माना जाता है कि मध्य प्रदेश के मंडला जिले में स्थित कान्हा नेशनल पार्क में 100 से ज्यादा वयस्क टाइगर हैं. इसके अलावा उनके शावकों की संख्या भी डबल डिजिट में है. शेरों की यह संख्या प्रदेश के किसी भी टाइगर रिजर्व के मुकाबले सबसे ज्यादा है. इन्हें देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं. कान्हा में पर्यटकों को जंगल की सैर कराने वाले गाइड की संख्या 153 है, जिसमें पांच महिला गाइड्स भी शामिल हैं. जिन्हें मुक्की गेट में तैनात किया गया है. ये सभी गाइड्स आदिवासी समुदाय से आते हैं और पर्यटकों से मिलने वाली निर्धारित रकम से ही उनका परिवार चलता है.


गाइड्स के मेहनताने सहित नियम कायदों का निर्धारण मध्य प्रदेश इको टूरिज्म बोर्ड करता है. साल 2018 के पहले गाइड को प्रति राइड 360 रुपये मिलता था. जिसे कमलनाथ की सरकार आने पर रिवाइज किया गया. बारहवीं पास सभी गाइड के लिए एक लिखित परीक्षा आयोजित की गई. जिसमें अंकों के आधार पर जी-1 और जी-2 कैटेगरी बनाई गई. जी-1 कैटेगरी के गाइड को 600 रुपये और जी-2 कैटेगरी के गाइड को 480 रुपये प्रति राइड मेहनताना तय किया गया.




नहीं ले रहा कोई सुध
गाइड फगन सिंह मरावी कहते हैं कि महंगाई के समय इतने कम पैसों में गुजारा नहीं होता. वैसे भी टूरिस्ट सीजन 8 माह का होता है और निश्चित नहीं है कि हर रोज काम मिले. सभी गाइड के लिए एक समान वेतन की मांग करते हुए फगन सिंह कहते है कि 2018 में तय हुआ था कि हर तीन साल में गाइड का मेहनताना बढा दिया जाएगा, लेकिन चार साल बीतने के बावजूद उनकी कोई सुनने वाला नहीं है.


कान्हा के गाइड्स की मांग है कि महंगाई को देखते हुए हर साल 10 प्रतिशत मेहनताना बढ़ना चाहिए. दो साल कोविड में उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा. सरकार ने इस दौरान कोई मदद नहीं की. टूरिस्ट की मदद से ही उनका घर चला. फगन सिंह कहते है कि टूरिज्म के इस व्यापार का हम भी हिस्सा है, लेकिन सरकार हमारी उपेक्षा करती है. दो साल से गाइड के एग्जाम ही नहीं लिए गए. जब एग्जाम ही नहीं होगा तो कैटेगरी बढ़ेगी कैसे? मेहनताना बढ़ेगा कैसे?


कान्हा में गाइड संख्या


खटिया गेट में 78
मुक्की गेट में 50 (5 महिला शामिल)
सरही गेट में 25


गाइड का मेहनताना
जी-1 - 600 रुपये
जी-2 - 480 रुपये


कान्हा टाइगर रिजर्व को भारत में बाघों (Tiger) का घर कहा जाता है. यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है. वर्तमान में कान्हा क्षेत्र को क्रमशः 250 और 300 किमी के दो अभयारण्यों, हॉलोन और बंजार में विभाजित किया गया है. कान्हा नेशनल पार्क एक जून 1955 को बनाया गया था और 1973 में कान्हा टाइगर रिजर्व बनाया गया था. आज यह दो जिलों मंडला और बालाघाट में 940 किमी के क्षेत्र में फैला है. कान्हा टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश में पर्यटकों के लिए शीर्ष 10 प्रसिद्ध स्थानों में से एक हैं. इस पार्क में टाइगर, भारतीय तेंदुएं, सुस्त भालू, बारहसिंघा और जंगली कुत्ते की महत्वपूर्ण आबादी है. यह आधिकारिक रूप से शुभंकर 'भूरसिंह द बारहसिंगा' पेश करने वाला भारत का पहला बाघ अभयारण्य है.


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