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Jabalpur News: केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना बदलेगी बुंदेलखंड की तस्वीर, 8 लाख हेक्टेयर खेत और 41 लाख लोगों की मिटाएगी प्यास

जबलपुर: केन-बेतवा रिवर लिंक (RIVER LINK) परियोजना सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड की तस्वीर बदलने वाली है. बता दें कि इससे यहां कृषि उत्पादन बढ़ेगा,लोगों की आय में वृद्धि होगी और उनका जीवन-स्तर सुधरेगा.

जबलपुर: देश की पहली केन-बेतवा रिवर लिंक (RIVER LINK) परियोजना सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड की तस्वीर बदलने वाली है. बता दें कि इससे यहां कृषि उत्पादन बढ़ेगा,लोगों की आय में वृद्धि होगी और उनका जीवन-स्तर सुधरेगा. इसके आलाव इस परियोजना से कृषि में उन्नति के साथ बुंदेलखंड में नए उद्योग-व्यापार का मार्ग भी खुलेगा. कुल मिलाकर ये भी कहा जा सकता है, कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में विकास और प्रगति का एक नया सूर्योदय होगा.

केन नदी बुन्देलखण्ड की प्रमुख नदी है

बता दें कि केन नदी मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र की एक प्रमुख नदी है, जिसकी कुल लम्बाई 470 कि.मी. है. ये नदी मध्यप्रदेश के कटनी जिले से निकल कर उत्तरप्रदेश में यमुना नदी में मिलती है. केन नदी 292 किमी मध्यप्रदेश में बहती है. आज़ादी के बाद से मध्यप्रदेश केन नदी के जल का बिल्कुल भी उपयोग नहीं कर पा रहा है. वहीं अब केन-बेतवा लिंक परियोजना में दौधन के पास एक बांध बनाकर केन नदी के जल का रोका जाएगा. दौधन बांध से 221 किमी लम्बी एक लिंक नहर का निर्माण कर केन बेसिन के 1074 एमसीएम अतिशेष जल को बेतवा बेसिन में पहुंचाया जायेगा.

बुंदेलखण्ड पठार की सबसे लंबी नदी है

बेतवा नदी जिसका प्राचीन नाम वेत्रवती था,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बहने वाली नदी है. इसे यमुना नदी की उपनदी भी कहा जाता है. ये मध्य प्रदेश में रायसेन ज़िले के कुम्हारा गांव से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई भोपाल, विदिशा, झांसी, ललितपुर आदि ज़िलों से होकर यमुना में मिलती है. इसके ऊपरी भाग में कई झरने मिलते हैं, लेकिन झांसी के पास येह कांप के मैदान में धीमे-धीमें बहती है. इसकी सम्पूर्ण लम्बाई 480 किलोमीटर है. ये बुंदेलखण्ड पठार की सबसे लम्बी नदी है. इसके किनारे सांची और विदिशा के प्रसिद्ध और सांस्कृतिक नगर स्थित हैं.

सूखाग्रस्त बुंदेलखंड की बदलेगी तस्वीर

बुंदेलखंड क्षेत्र की बहुप्रतीक्षित महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय केन-बेतवा लिंक परियोजना सूखा प्रभावित क्षेत्र को सिंचाई और पेयजल में आत्म-निर्भर बनाएगी. साथ ही इससे ऊर्जा क्षमता में भी बढ़ोत्तरी होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष रूचि लेकर मध्यप्रदेश को परियोजना की जो सौगात दी है, उससे सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर तो बदलेगी ही साथ ही क्षेत्र में औद्योगीकरण और निवेश को बढ़ावा भी मिलेगा. स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और परम्परागत रूप से होने वाला लोगों का पलायन भी रूकेगा.

14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हो सकेगी सिंचाई

परियोजना के पूर्ण होने पर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और खुशहाली आएगी. जल संकट से प्रभावित प्रदेश की 41 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा प्राप्त होगी. साथ ही क्षेत्र में भू-जल की स्थिति में भी सुधार आएगा. परियोजना से बुंदेलखंड के पन्ना जिले में 70 हजार हेक्टेयर, छतरपुर में 3 लाख 11 हजार 151 हेक्टेयर,दमोह में 20 हजार 101 हेक्टेयर, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी में 50 हजार 112 हेक्टेयर, सागर में 90 हजार हेक्टेयर, रायसेन में 6 हजार हेक्टेयर, विदिशा में 20 हजार हेक्टेयर, शिवपुरी में 76 हजार हेक्टेयर एवं दतिया जिले में 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी.

पीएम मोदी ने साकार किया अटल जी का सपना

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास के लिए केन-बेतवा लिंक परियोजना का जो सपना देखा था, उसे प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने साकार किया है. यहां आपको बता दें कि गत दिवस केन्द्रीय केबिनेट ने 44 हजार 605 करोड़ रूपये की लागत वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी दे दी थी. ये परियोजना मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में विकास और प्रगति का एक नया सूर्योदय लाएगी.

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