Madhya Pradesh News: शारदीय नवरात्रि के मौके पर जहां पूरा देश जगत जननी की महिमा में डूबा है. वहीं जबलपुर का एक शख्स लंकेश की आराधना में लीन है. यह जानकर थोड़ा आश्चर्य हुआ होगा लेकिन संस्कारधानी जबलपुर समेत पूरे महाकौशल में इस दशानन भक्त के चर्चे है. उसने अपना नाम भी लंकाधिपति के नाप पर लंकेश रख लिया है. नवरात्रि की पंचमी पर दशानन की प्रतिमा स्थापित करना और दशहरे पर विसर्जन की परंपरा का पालन पाटन कस्बे के लंकेश 1975 से कर रहे है. भगवान राम के देश में रावण की महिमा में डूबे लंकेश की कहानी वाकई दिलचस्प और अनूठी है.


लंकेश  की अनोखी आस्था
यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का देश है और यहां उनको पूजने वाले भक्त करोड़ों में है लेकिन कोई रावण की पूजा करता हो तो सुनकर थोड़ा अटपटा लगता है. किंतु यह हकीकत है. जबलपुर के पाटन इलाके में रहने वाला लंकेश अपनी इस अनोखी आस्था के लिए अलग पहचान रखता है. जब लोग सुबह उठकर भगवान श्रीराम को याद करते हैं तो लंकेश रावण की पूजा कर रहे होते हैं.


रावण को माना अपना ईष्ट
जबलपुर के पाटन कस्बे में रहने वाले संतोष नामदेव उर्फ लंकेश पेशे से टेलर हैं लेकिन इनकी रावण भक्ति से हर कोई प्रभावित है. कई सालों से संतोष रावण की पूजा करते आ रहे हैं. इसके कारण इनकी पहचान भी लंकेश के रूप में ही बन चुकी है. संतोष के साथ उनके परिवार और पड़ोस के लोग भी प्रकांड पंडित रावण का पूजन करते है. भले ही समाज रावण की बुराई से परिचित हो लेकिन पाटन के लंकेश लंकाधिपति रावण की अच्छाईयों को ग्रहण कर आगे बढ़ रहे है. संतोष नामदेव उर्फ लंकेश की रावण भक्ति के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. वे बताते हैं कि जब ये छोटे थे तो रामलीला में रावण की सेना में सैनिक का किरदार निभाते थे. कुछ सालों बाद इन्हें रावण का किरदार निभाने का मौका मिला और ये उस किरदार से इतना प्रभावित हुए कि उसे अपना गुरू और ईष्ट मान लिया. तब से यह रावणभक्ति का सिलसिला चला आ रहा है.


बेटे का नाम मेघनाद
लंकेश उर्फ संतोष नामदेव का मानना है कि रावण बहुत बुद्धिमान और ज्ञानी था. उसके अंदर कोई भी दुर्गण नहीं था. उसने जो भी किया वह अपने राक्षस कुल को तारने के लिए किया था. रावण ने सीता का अपहरण करने के बाद उन्हें अशोक वाटिका में रखा, जहां किसी भी नर, पशु, पक्षी या राक्षस को जाने की अनुमति नहीं थी. यह उसकी सीता के प्रति सम्मान की भावना को व्यक्त करता है. रावण भक्त लंकेश ने अपने दोनों बेटों का नाम भी मेघनाद और अक्षय रखा है, जो रावण के पुत्रों के नाम थे.


रावण की अराधना से मिला सबकुछ
यहां बता दे कि संतोष पिछले कई सालों से रावण की भक्ति कर रहे हैं और संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनका मानना है कि जो कुछ भी उनके पास है वह सब रावण की भक्ति से ही मिला है. उनकी इस अनोखी भक्ति से आसपास के लोग काफी प्रभावित हैं. नवरात्रि के समय पर जब वे रावण की प्रतिमा रखते हैं तो क्षेत्र के लोग उन्हें पूरा सहयोग करते हैं और धूमधाम से रावण की शोभायात्रा भी निकालते हैं. वैसे तो हिंदुस्तान में कई धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं और सभी अपने अपने धर्मों के अनुसार ईष्ट देव की पूजा करते हैं लेकिन संतोष नामदेव की रावणभक्ति अपने आप में अनूठी है.



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