Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट (Shivraj Singh Chouhan Cabinet) में विस्तार की खबरें हैं. कहा जा रहा है कि यह विस्तार गुजरात चुनाव (Gujarat Assembly Elections 2022) के बाद कभी भी हो सकता है और सरकार के आखिरी साल के इस मौके को कोई भी दावेदार विधायक छोड़ना नहीं चाहता है. इसीलिए भोपाल (Bhopal) से लेकर दिल्ली तक फील्डिंग जमाई जा रही है. वैसे माना जा रहा है कि इस फेरबदल में संगठन और शिवराज की पसंद वाले विधायक ही कैबिनेट में जगह पाएंगे.


जबलपुर से कोई मंत्री नहीं
बात करें राज्य के प्रमुख महानगर जबलपुर की तो यहां से फिलहाल शिवराज मंत्रिमंडल में कोई भी विधायक शामिल नहीं है. इसलिए इस फेरबदल में जबलपुर का दावा बेहद मजबूत माना जा रहा है. जबलपुर में विधानसभा की आठ सीटें है जिनमें कांग्रेस और बीजेपी का स्कोर एक बराबर है. बीजेपी के चार एमएलए में पाटन विधानसभा से चार बार जीते पूर्व मंत्री अजय विश्नोई का कैबिनेट के लिए दावा सबसे ज्यादा मजबूत है, लेकिन विश्नोई की सत्ता और संगठन से तनाव और लगातार बयानबाजी उनके खिलाफ जा रही है.


अजय विश्नोई को थी उम्मीद
यहां बताते चले कि 2019 में कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद जब शिवराज की प्रदेश की सत्ता में वापसी हुई थी तो अजय विश्नोई मानकर चल रहे थे कि वे न केवल मंत्री बनेंगे बल्कि उन्हें वजनदार पोर्टफोलियो भी मिलेगा, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के विधायकों को एडजस्ट करने के चक्कर में उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिली तो उनके तेवर पार्टी के भीतर रहकर ही बागियों जैसे हो गए थे. यही बात अब उनके खिलाफ जा रही है.


3 विधायक भी कोशिश में
जबलपुर से बीजेपी के 3 विधायकों की बात करें तो सभी दूसरी बार जीत कर विधानसभा में पहुंचे हैं. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सांसद राकेश सिंह के विरोध के कारण एमएलए अशोक रोहाणी और सुशील तिवारी इंदु का भी पत्ता कट गया था. सांसद राकेश सिंह सिहोरा विधानसभा से अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाली नंदनी मरावी के लिए पैरवी कर रहे थे लेकिन जातीय समीकरण में फिट ना होने के कारण उन्हें भी शिवराज कैबिनेट में नहीं लिया गया था. अब कैबिनेट में फेरबदल की अटकलों के बीच यह तीनों विधायक फिर से अपनी जगह बनाने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं.


पार्टी सूत्रों का कहना है कि शिवराज सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व के पास जिन नए विधायकों को मंत्री बनाने की सूची सौंपी थी उसमें सुशील तिवारी हिंदू का नाम भी था लेकिन ब्राम्हण होने के चलते उनके कैबिनेट में आने की संभावनाएं थोड़ी कम भी हो रही है. वहीं अशोक रोहणी के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय ईश्वरदास रोहाणी के नाम का फायदा मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है. सिंधी अल्पसंख्यक समुदाय से आने के कारण भी उन्हें फायदा हो सकता है लेकिन दिल्ली और भोपाल में कोई राजनीतिक आका ना होने का कारण अंतिम समय में उनका नाम कट भी सकता है.


किसकी पैरवी कर रहे राकेश 
वहीं, एसटी के लिए रिजर्व सीट सिहोरा से दूसरी बार जीतने कव्वाली नंदनी मरावी के लिए सांसद राकेश सिंह अभी भी पैरवी कर रहे हैं. पार्टी सूत्रों का कहना है कि राकेश सिंह की हाईकमान में अच्छी पकड़ है इस वजह से बिना उनकी सहमति के जबलपुर से किसी भी विधायक को शिवराज कैबिनेट में लिए जाने की संभावना कम है. अगर उनकी चली तो आदिवासी नेता नंदनी मरावी को मंत्री पद मिल जाएगा.


जा रहा नेगेटिव मैसेज
अब अगर राजनीतिक नफे नुकसान की बात करें तो तो शिवराज कैबिनेट में जबलपुर जैसे महानगर से किसी भी विधायक को मंत्री ना बनाने से नेगेटिव मैसेज जा रहा है. 2018 में कमलनाथ की सरकार में तरुण भनोट और लखन घनघोरिया जैसे दो दबंग मंत्री जबलपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. बीजेपी द्वारा कैबिनेट में जबलपुर से भेदभाव किए जाने को कांग्रेस लगातार राजनीतिक मुद्दा भी बनाती रही है. इन परिस्थितियों को देखते हुए माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव के बाद शिवराज कैबिनेट में फेरबदल में जबलपुर को भी उसका हक बीजेपी को देना पड़ेगा.


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