MP News: मानवता की न कोई जात होती है और न कोई मजहब. इसे प्रमाणित किया है जबलपुर के इनायत अली ने. पेशे से मोटर मैकेनिक इनायत अली अब तक हजारों शवों का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करवा चुके हैं. इसी क्रम में इनायत अली ने पन्ना निवासी एक गरीब व्यक्ति की जबलपुर में इलाज के दौरान मृत पत्नी का हिंदू धर्म के तौर-तरीके से अंतिम संस्कार किया.


जबलपुर में विक्टोरिया अस्पताल में लंबे समय से भर्ती एक महिला की मौत हो गई. महिला का पति इलाज के दौरान लगातार उसके साथ ही था. उसने पत्नी के इलाज में अपनी जिंदगी भर की जमा पूंजी भी लगा दी, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी. जैसे ही पति को पत्नी की मौत की खबर मिली, वह उससे लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगा. फिर कुछ देर बाद अचानक उठकर वहां से चल दिया. अस्पताल के स्टाफ ने जब उसे पत्नी के शव को भी साथ ले जाने और अंतिम संस्कार करने के लिए कहा तो वह रोने लगा. उसने हाथ जोड़कर कहा कि अब उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह पत्नी का अंतिम संस्कार कर पाए.


हिंदू रीति-रिवाज से हुआ अंतिम-संस्कार


जिला अस्पताल के कर्मचारियों ने बुजुर्ग को रोका और फिर हमेशा की तरह गरीब नवाज कमेटी के सदस्य इनायत अली को सूचना दी. इनायत अली ने बताया कि बुजुर्ग के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी पत्नी की मौत के बाद अंतिम संस्कार करवा सके. इसलिए गरीब नवाज कमेटी ने बुजुर्ग महिला की पत्नी का अंतिम संस्कार करवाया और फिर उन्हें बस में बैठाकर पन्ना के लिए रवाना कर दिया. उन्होंने बताया कि उनकी कमेटी अब तक बिना जात-पात या धर्म देखे अभी तक हजारों शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी है.


बता दें कि 55 साल के बुजुर्ग पुरुषोत्तम वंशकार पन्ना जिले के रहने वाले हैं. बीते डेढ़ माह से वो अपनी पत्नी का इलाज जिला अस्पताल जबलपुर में करवा रहे थे. बुजुर्ग की पत्नी चूल्हा बाई की सोमवार को इलाज के दौरान मौत हो गई. पुरुषोत्तम ने पहले कटनी जिले में भी पत्नी का इलाज करवाया था. जब उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ, तो उसे लेकर जिला अस्पताल जबलपुर आ गए. करीब डेढ़ माह तक उपचार के बाद पत्नी ने सोमवार को दम तोड़ दिया.


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