Jabalpur: जबलपुर मेडिकल कॉलेज में कब होगा HC के आदेश का पालन? सरकार की मंशा पर उठे सवाल, जानिए मामला
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर प्रदीप कसार डीन पद से रिटायर हुए थे. सरकार ने डॉक्टर प्रदीप कसार की जगह पर 10 मई 2022 को गायनिक विभाग की डॉ. गीता गुईन को प्रभारी डीन नियुक्त किया था.
Jabalpur News: जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज (Netaji Subhash Chandra Bose Medical College) में डीन (Dean) की तैनाती नहीं होने से सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को डीन की नियुक्ति का आदेश दिया था. महाकौशल इलाके का सबसे बड़ा सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल 6 महीने से प्रभारी डीन के भरोसे चल रहा है. प्रभारी डीन की योग्यता भी सवालों के घेरे में है. नियुक्ति को नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है.
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर
सीनियर मोस्ट प्रोफेसर और पैथोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय तोतड़े ने डीन की नियुक्ति मुद्दे पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर रखी है. याचिका पर नए साल में 2 जनवरी को सुनवाई होने वाली है. नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज जबलपुर के स्थायी डीन का मामला 6 माह से लटका हुआ है. डॉ तोतड़े की रिट पिटीशन पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व में 45 दिन के भीतर डीन की बहाली का आदेश सरकार को दिए थे. हाईकोर्ट के आदेश का पालन होता न देख डॉक्टर संजय तोतड़े ने 10 नवंबर को अवमानना याचिका दायर कर दी.
मेडिकल कॉलेज में डीन की नियुक्ति का मामला
आनन-फानन संभागीय आयुक्त बी चंद्रशेखर ने 18 नवंबर को एक पत्र जारी कर बताया कि आवेदकों का डीन पद के लिए 21 नवंबर को साक्षात्कार होगा. आवेदकों को सूचना भी भेज दी गई. मामले तब नया मोड़ आया, जब 20 नवंबर को अचानक संभागायुक्त ने फिर एक पत्र जारी कर इंटरव्यू को अपरिहार्य कारणों से स्थगित करने की सूचना भेज दी. एबीपी न्यूज़ को डॉ संजय तोतड़े ने अवमानना याचिका दायर करने की जानकारी है. हालांकि उन्होंने आगे कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
चयन समिति के प्रमुख और संभागायुक्त बी चंद्रशेखर से भी एबीपी न्यूज़ ने मोबाइल पर बात करने की कोशिश की लेकिन दूसरी तरफ से फोन नहीं उठा. डीन चयन समिति का अध्यक्ष संभागायुक्त होता है, जबकि डीएमई और दो अन्य एक्सपर्ट समिति के सदस्य होते हैं. बताते चलें कि मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन डॉक्टर प्रदीप कसार की सेवानिवृत्ति पर सरकार ने 10 मई 2022 को गायनिक विभाग की डॉ गीता गुईन को प्रभारी डीन नियुक्त कर दिया था. स्थायी डीन की नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन पर सरकार को छह आवेदन मिले.
वरिष्ठता में सबसे ऊपर डॉ संजय तोतड़े के साथ जबलपुर मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ परवेज सिद्दिकी, छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ गिरीश रामटेके, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस एंड पल्मोनरी मेडिसिन, जबलपुर के डायरेक्टर डॉ जितेंद्र भार्गव, इंदौर मेडिकल कॉलेज में माइक्रो बायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर शशि गांधी और सागर मेडिकल कॉलेज के डॉ डी के पिप्पल ने डीन पद के लिए आवेदन किया है. मेडिकल कॉलेज से जुड़े सूत्रों का कहना है कि डीन की नियुक्ति के लिए प्रोफेसर पद पर पांच साल का अनुभव जरूरी है.
NMC के नियमों का उल्लंघन पड़ सकता है भारी
प्रभारी डीन डॉ गीता गुईन अभी 4 साल के अनुभव वाली प्रोफेसर हैं. इसलिए उनकी नियुक्ति को एनएमसी के मापदंड का उल्लंघन माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि एनएमसी तक शिकायत पहुंचने पर मेडिकल कॉलेज के कई कोर्स की मान्यता संकट में पड़ सकती है. खास को उपकृत करने के फेर में सरकार छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है. पिछले दिनों भोपाल में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार अधिकारियों को लापरवाही पर विभागीय मंत्री विश्वास सारंग की डांट भी खानी पड़ी थी.
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