Jabalpur के अस्पताल में आग लगने के मामले में हाईकोर्ट को मिली रिपोर्ट, 8 सितंबर को होगी सुनवाई
हाई कोर्ट की सख्ती के बाद न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल अग्निकांड मामले में सरकार ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की है. अब इसकी सुनवाई 8 सितंबर को होनी है.
Jabalpur News: मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में जबलपुर शहर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल अग्नि दुर्घटना के मामले पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किया है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान संभागायुक्त और पुलिस की जांच रिपोर्ट इसके साथ संलग्न कर पेश की गई. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेकर अगली सुनवाई 8 सितंबर नियत की है.
जांच को लेकर उठ रहे सवाल
न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के अग्निकांड में 8 लोगों की जान चली गई थी. अस्पताल के दो मैनेजर और दो डायरेक्टर गिरफ्तार कर लिए गए है. लेकिन डॉ. सुरेश पटेल सहित एक अन्य डायरेक्टर अभी तक फरार बताए जा रहे हैं. प्रशासन की जांच को लेकर भी तमाम सवाल उठ रहे है क्योंकि जिन सरकारी डॉक्टरों ने निरीक्षण करके न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल को एनओसी जारी की थी, उन्हें ही जांच टीम में शामिल किया गया था. बाद में हाई कोर्ट की सख्ती के बाद उन्हें जांच टीम से हटाकर निलंबित कर दिया गया.
कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
एमपी लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर कर जबलपुर में नियम विरुद्ध अस्पतालों के संचालन को चुनौती दी थी. पिछली सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत सिंह ने शपथ पत्र पेश कर घटना दिनांक से वर्तमान तक का सम्पूर्ण घटनाक्रम सिलसिलेवार ढंग से बताया था. उनके द्वारा बताया गया था कि घटना की जांच के लिए संभागायुक्त के नेतृत्व में टीम बनाई गई है. कोर्ट ने पूछा था कि निरीक्षण करने वाले, अस्पताल भवन को उपयुक्त बताने वाले निलंबित चिकित्सक और अन्य को एफ.आई.आर. में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है? इस पर सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने नाराजगी भी जताई थी.
कोर्ट ने दिया था यह निर्देश
कोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए चेतावनी दी थी कि यदि अगली सुनवाई में कार्यवाहियों के संबंध में संतोषपूर्ण उत्तर नहीं दिया तो कोर्ट यह जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने पर निर्णय लेगी. कोर्ट ने संभागायुक्त की जांच रिपोर्ट और पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफ.आई.आर. से सम्बंधित समस्त रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश करने के निर्देश दिए थे. याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने पैरवी की.