जबलपुर: प्यार में चांद-तारे तोड़ लाने जैसी किताबी बातें तो आपने खूब सुनी होगी लेकिन हम आपको असल जिंदगी की एक ऐसी प्रेम कहानी (Love Story) के बारे में बताने जा रहे है,जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल जबलपुर (Jabalpur) के एक 80 साल के रिटायर्ड सरकारी अधिकारी ने कोरोना काल (Corona) मे जब अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे तो अपनी पत्नी की गंभीर बीमारी को देखते हुए घर पर ही आईसीयू (ICU) वार्ड तैयार कर दिया.


80 साल की उम्र में भी जबलपुर का एक जोड़ा एक दूसरे को करता है बेइंतहा मोहब्बत
आज हम आपको उनके ऐसे ही सच्चे प्रेम की कहानी सुनाएंगे, जिसमें जीवन के अंतिम पलों की विषम परिस्थितियों में भी पति-पत्नी ने एक दूसरे का साथ नही छोड़ा. आंखों में झुर्रियां ,कांपते हाथ,लड़खड़ाती जुबान और जीवन के अंतिम सोपान पर भी एक-दूसरे का साथ निभाने का जज्बा, यही पहचान है जबलपुर निवासी ज्ञान प्रकाश और कुमुदिनी खरे की.80 साल की इस उम्र में भी इन दोनों का प्यार एक मिसाल बन गया है.


पत्नी के लिए ज्ञानप्रकाश ने घर पर बनाया आईसीयू वार्ड

ऑर्डिनेंस फैक्ट्री जबलपुर से रिटायर हुए ज्ञानप्रकाश का बेटा और बेटी विदेश में हैं,जबकि वो यहां अपनी पत्नी कुमुदनी के साथ अकेले रहते हैं. कुमुदनी को सीओटू नार्कोसिस (Co2 Narcosis) नाम की बीमारी है. इस बीमारी में उनके शरीर से कार्बन डाई ऑक्साईड का उत्सर्जन पर्याप्त नहीं हो पाता है और उन्हें जिंदा रहने के लिए लगातार ऑक्सीजन सपोर्ट की जरुरत होती है.


कोरोना संकटकाल मे अस्पतालों के लगातार चक्कर काटने के बाद भी जब ज्ञानप्रकाश को आईसीयू बेड नहीं मिला तो उन्होंने घर पर ही अपनी पत्नी को अस्पताल से बेहतर और सुरक्षित चिकित्सा सुविधा देने की ठानी.इसी कवायद में इस इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके ज्ञानप्रकाश ने अपने घर को आईसीयू अस्पताल और अपनी कार को ऑक्सीजन फिटेड एंबुलेंस में बदल दिया.आज उनके घर का बेडरूम अच्छे खासे अस्पतालों के आईसीयू वार्ड को भी मात देता हैं.यहां वैंटिलेटर, ऑक्सीजन, एयर प्यूरिफायर के अलावा और कई ऐसी मेडिकल सुविधाएं हैं,जो आम अस्पतालों में भी नहीं हैं.


ज्ञानप्रकाश ने अपनी पत्नी के लिए कई मेडिकल डिवाईस भी बनाई हैं
रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञानप्रकाश ने अपनी पत्नी के लिए कई मेडिकल डिवाईस भी बनाई हैं.इसमें मोबाईल स्टैथिस्कोप तो अनोखा है,जिसमें वो अपनी पत्नी की हार्टबीट मोबाईल में कैद कर लेते हैं और उसकी साउंड फाईल वॉट्सएप के जरिए डॉक्टर को भेज देते हैं.इससे डॉक्टर बिना घर आए उनकी पत्नी कुमुदनी को दवाएं प्रिस्क्राइब कर देते हैं.




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ज्ञानप्रकाश और लोगों को भी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए करते हैं प्रेरित
पत्नी की देखरेख के अलावा सामाजिक गतिविधियों में भी खासे एक्टिव रहने वाले ज्ञानप्रकाश और लोगों को भी बढ़ती उम्र का तनाव छोड़कर अपने अनुभव से हर समस्या का समाधान निकालने की सलाह देते हैं.ज्ञानप्रकाश कहते हैं कि अपनी धर्मपत्नी की देखरेख उनका कर्तव्य है,जिसे वो पूरी शिद्दत से निभा रहे हैं.


घर के आईसीयू में पत्नी को बेहतर मेडिकल सुविधाएं दे रहे हैं ज्ञानप्रकाश
जबलपुर के आधारताल इलाके में पत्नी के साथ अकेले रह रहे ज्ञानप्रकाश ने घर में ऑक्सीजन सिलेंडर्स का पर्याप्त स्टॉक भी रखा है,जिसे वो खुद जरुरत पड़ने पर बदलते रहते हैं.हालांकि घर में पत्नी की देखरेख के लिए उन्होने एक नर्स को भी हायर कर रखा है.अब उन्हें न अस्पताल के मंहगे इलाज की फिक्र है ,न इलाज में लापरवाही का डर और ना इंफेक्शन का खतरा.वे अपने घर के आईसीयू में कुमुदनी को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल दे रहे है, जिससे उनकी सेहत में सुधार भी नजर आ रहा है.वेंटिलेटर छोड़कर महज 25 हजार के खर्च में बना ये घरेलू अस्पताल ज्ञानप्रकाश के प्रेम की भी अनोखी निशानी है.

ज्ञान प्रकाश और कुमुदिनी की यह कहानी  बताती है कि किताबी और आज के सोशल मीडिया के इश्क के आगे भी एक प्रेम भारी है. जिसमें मुश्किल समय में एक-दूसरे का साथ निभा कर आगे बढ़ना ही सच्चा प्यार है.


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