Jabalpur: MP हाईकोर्ट का फरमान, ग्रामीण क्षेत्र में काम नहीं करने वाले डॉक्टरों पर सरकार फिलहाल नहीं करेगी कार्रवाई
एमपी हाईकोर्ट ने बांड भरने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में सेवा नहीं करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ फिलहाल किसी भी तरह की कार्रवाई करने पर अंतरिम रोक लगा दी है.
Jabalpur News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बांड भरने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में सेवा नहीं करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ फिलहाल किसी भी तरह की कार्रवाई करने पर अंतरिम रोक लगा दी है, वहीं शासन की ओर से प्रकरण में अपना पक्ष रखने मोहलत मांगी गई है. हाई कोर्ट के जस्टिस शील नागू एवं जस्टिस एमएस भट्टी की खंडपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है. दरअसल, यह मामला प्रदेश के 11 सौ से अधिक डॉक्टरों के पंजीयन निरस्त करने से जुड़ा है.वर्तमान में इस मामले से जुड़ी करीब एक दर्जन से अधिक याचिकाएं लंबित हैं.
सरकार अभी नहीं कर सकेगी कार्रवाई
जबलपुर निवासी डॉ. विजय प्रताप सिंह, डॉ. सिद्धार्थ ओसवाल और डॉ. मुदित अग्रवाल ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने 2008 में एमबीबीएस की डिग्री पूरी की थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभिजीत अवस्थी ने कोर्ट को बताया कि संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएँ ने 17 फरवरी 2020 को एक आदेश जारी कर उक्त डॉक्टरों को 15 दिन के भीतर ग्रामीण क्षेत्र में ड्यूटी करने के लिए आवेदन पेश करने कहा थ.ऐसा नहीं करने पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से उनका रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की चेतावनी दी गई थी. कोरोना के चलते यह कार्रवाई टल गई थी.अधिवक्ता अवस्थी ने बताया कि सरकार ने पुनः इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है. यदि डॉक्टरों का पंजीयन निरस्त हो जाता है तो उनका कैरियर समाप्त हो जाएगा.
मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता डॉक्टरों के खिलाफ संचालनालय के उक्त आदेश के परिप्रेक्ष्य में आगामी सुनवाई तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए.साथ ही सरकार को इस मामले में अंतिम बहस पूरी करने को कहा है.
77 करोड़ से ज्यादा है बॉन्ड की रकम
यहां आपको बता दें कि साल 2002 में मध्यप्रदेश सरकार ने डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए ग्रामीण ड्यूटी अनिवार्य करते हुए एक साल का बॉन्ड सिस्टम लागू किया गया था.2006 से पीजी करने वालों के लिए यह 2 साल का हो गया. 2013 में इसे फिर से एक साल का कर दिया गया.शुरुआत में बॉन्ड की राशि 40 हजार थी.बाद में इसे 10 लाख और अब इसे बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया गया है.
मेडिकल सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार की कार्रवाई में जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के 150 डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की तैयारी है.इनमें यूजी के 51, पीजी डिप्लोमा के 43 और पीजी के 56 डॉक्टर्स हैं.इन सभी की बॉन्ड राशि कुल 11 करोड़ से ज्यादा है.प्रदेश भर में 1118 चिकित्सकों पर कार्रवाई होगी,इनकी कुल बॉन्ड राशि 77 करोड़ के करीब है. इसमें सबसे ज्यादा 325 चिकित्सक जीएमसी भोपाल, इसके बाद 292 चिकित्सक एमजीएम इंदौर, 193 चिकित्सक जीआरएमसी ग्वालियर और 158 चिकित्सक एसएसएमसी रीवा से हैं.
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