Jabalpur News: कोरोना काल के दौरान निजी स्कूलों की फीस वसूली का मामला एक बार फिर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट पहुंचा गया है. दरअसल इस बार सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के पूर्व आदेश को शून्य कर दिया गया था. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच और सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव की तरफ से दायर जनहित याचिका में 22 नवंबर 2021 को निजी स्कूलों में फीस वसूली के संबंध में निकाले गए आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है. इस आदेश में स्कूलों को सभी तरह के शिक्षण शुल्क वसूलने की अनुमति दे दी गई थी.


याचिकाकर्ता रजत भार्गव के मुताबिक उन्होंने पूर्व में भी हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमण के दौरान स्कूल फीस वसूली को लेकर याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान 4 नवंबर 2020 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने निर्देश दिए थे कि जब तक कोरोना महामारी खत्म नहीं हो जाती या फिर स्कूल पूरी तरफ फिजिकल रूप से शुरू नहीं हो जाते तब तक सिर्फ ट्यूशन फीस की वसूली जा सकती है, जो मार्च 2020 के पहले निर्धारित स्ट्रक्चर के अधीन होगी. 


फिलहाल मध्यप्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन की दहशत है. ऐसे में एहतियातन नए नियम फिर लागू किए गए हैं. खुद सरकार ने ही बीते दिनों ऑनलाइन क्लासेस सुचारू रखने के और 50 फीसदी क्षमता के साथ स्कूल संचालित करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन फीस वसूली को लेकर कोई नया आदेश नहीं निकाला है. फिलहाल इस मामले को लेकर याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर की गई है जिस पर आने वाले दिनों में सुनवाई संभव है. 


उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश में कहा था कि सत्र 20-21 के लिए निजी स्कूल कुल फीस का 85 फीसद ही ले सकेंगे, जबकि सत्र 21-22 के लिए सामान्य लागू फीस ली जाएगी. लेकिन मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से इन आदेशों के विपरीत 8 जुलाई 2021 को प्रदेश के निजी स्कूलों को सत्र 21-22 में भी केवल शिक्षण शुल्क ही लेने का आदेश जारी किया गया था. 


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