Jabalpur News: जबलपुर (Jabalpur) में होली के दौरान खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच के लिए सैंपल की रिपोर्ट आज तक नहीं आई है. बता दें कि जबलपुर (Jabalpur) में साल 2022 में जनवरी से लेकर अब तक खाद्य पदार्थों के 486 सैंपल लिए गए हैं, जिनमें से अब तक करीब 350 सैंपल की ही रिपोर्ट आ पाई है. यानी तकरीबन 25 प्रतिशत रिपोर्ट अभी भी पेंडिंग है. हालांकि, दीपावाली के त्योहार को देखते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग एक बार फिर सैंपल लेने मैदान में निकल चुका है.
मध्यप्रदेश में मिलावटखोरों पर लगाम लगाने के लिए सरकार के दावे और प्रयास नाकाफी है. यह प्रयास जमीनी स्तर पर सफल होते नजर नहीं आ रहे हैं. यही वजह है कि एक बार फिर दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई पर सवाल खड़े होने लगे हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो जबलपुर में 2022 में जनवरी से लेकर अभी तक 486 सैंपल लिए गए हैं, जिनमें से अब तक करीब 350 सैंपल की ही रिपोर्ट आ पाई है.
त्योहार के चलते एक बार फिर खाघ विभाग सक्रिय
दीवाली का त्योहार नजदीक आ रहा हैं. ऐसे में एक बार फिर खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रिय हो गया है.जबलपुर जिले में लगातार खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी ताबड़तोड़ कार्रवाई का दावा कर रहे हैं.खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी पंकज श्रीवास्तव के मुताबिक मावा बाजार और मिठाई की दुकानों से सैंपल कलेक्ट किया जा रहा है लेकिन इससे आम जनता को फिलहाल मिलावट से मुक्ति मिलती नहीं दिख रही है.जो सैंपल फेल हो जाते हैं,उनकी ना तो समय रहते रिपोर्ट मिल पाती है और न ही सख्त कार्रवाई हो पाती है. हैरानी की बात तो यह है कि होली में लिए गए सैंपल की रिपोर्ट दीपावली तक नहीं आ पाई. पिछले एक माह की ही बात करें तो अब तक करीब 38 सैंपल लिए जा चुके हैं, लेकिन रिपोर्ट एक की भी नहीं मिली है.
सैंपल को भेजा जाता है भोपाल
खाद्य सुरक्षा अधिकारी पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि जबलपुर से कलेक्ट किए गए सैंपल को भोपाल के लैब में भेजा जाता है लेकिन वहां से रिपोर्ट आने में कम से कम 20 दिन और ज्यादा से ज्यादा दो से ढाई महीने लग जाते हैं. ऐसे में कार्रवाई प्रभावित होती है. मध्य प्रदेश में खाद्य पदार्थों के सैंपल की जांच करने के लिए एकमात्र लैब भोपाल में है. कमलनाथ सरकार के दौरान जबलपुर और ग्वालियर में भी एक-एक लैब स्थापित करने की घोषणा की गई थी. इस घोषणा के तहत ग्वालियर-जबलपुर में लैब बनकर तैयार भी हो गई है लेकिन आज तक उनमें काम शुरू नहीं हो पाया. जिसका नतीजा यह है कि आज भी पूरे प्रदेश के सैंपल भोपाल जाते हैं, जिससे रिपोर्ट देर से आती है. वैसे यहां दूध में पानी मिलना, मिठाई में बेसन मिलना, गेहूं मे धूल, कंकड़, डंठल आदि मिलना अपराध नहीं है. इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव नहीं पड़ता है.
जानें कानून क्या कहता है?
खाद्य और पेय वस्तुओं के बड़े पैमाने पर हो रही मिलावट की वारदातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 पारित किया जो भारत में 1 जून 1955 से प्रभावी हुआ. इस अधिनियम द्वारा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य और पेय पदार्थों के क्रय-विक्रय पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई हैं. इस तरह के कृत्य को भारतीय दण्ड विधान में अपराध माना गया है. अगर कोई व्यक्ति द्वारा निम्न कृत्य किए जा रहे हैं वो भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 272 के अंतर्गत दोषी होगा.
1. किसी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ में कोई हानिकारक या नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ को अल्प मात्रा में मिलाया गया हो और जिससे उसको खाने या पीने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान होने या हानि पहुंचाने की संभावना हो.
2. खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ में मिलावट की गई हो जिससे वह खाद्य और पेय पदार्थ हानिकारक बन जाए और उसे फिर भी बाजार में बेचने का उद्देश्य बना रहा हो.
दण्ड का प्रावधान
अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ को बेचता या विक्रय करता है जिससे लोगों के स्वास्थ्य को हानि या नुकसान पहुंचा हो. तब वह भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 273 के अंतर्गत दंडनीय होगा. धारा 272 और धारा 273 के अपराध संज्ञेय और असंज्ञेय दोनो प्रकार के होते है. साथ ही जमानतीय और अजामनतीय दोनों प्रकार के होते हैं. अधिकांश राज्यों में दोनों धारा में 6- 6 महीने की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता हैं. वहीं मध्यप्रदेश में मिलावट के कुछ मामलों में आजीवन कारावास का प्रावधान भी है.
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