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Jabalpur News: भूकंप से दहशत में आ जाते हैं जबलपुर के लोग, 1997 की उस काली रात ने ली थी 41 लोगों की जान
उत्तर भारत सहित नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस भूकंप के झटके से नेपाल में छह लोगों की मौत हो गई. भारत में किसी भी प्रकार की जान माल की हानि नहीं हुई है.
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MP News: नेपाल में आये भूकंप से भारत के भी कई इलाकों में कंपन महसूस किया गया है. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.3 मापी गई है. इसका केंद्र पड़ोसी देश नेपाल रहा. हालांकि, जब कभी भारत या किसी पड़ोसी मुल्क में भूकंप आता है तो लोग डर जाते हैं. यहां हाल ही में जबलपुर में 4.3 तीव्रता वाले भूकंप ने दहशत फैलाई थी, लेकिन भय की असली वजह 22 मई 1997 की रात आई भूकंप थी. जिसमें 41 लोगों की जान चली गई थी.
जबलपुर में 1997 में आया था भूकंप
जबलपुर में 22 मई 1997 को आए भूकंप ने जो तबाही मचाई थी. उससे यहां के लोग अभी भी उबर नहीं पाए हैं. इस वजह से जब भी धरती में कंपन महसूस होता है, जबलपुर के लोग दहशत से भर जाते हैं. 22 मई 1997 को सुबह चार बजे के आसपास आए इस भूकंप के झटके जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा और सिवनी में महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 दर्ज की गई थी. धरती के कांपने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान जबलपुर और मंडला में हुआ था. इन जिलों में 8,546 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे, जबकि 50 हजार से ज्यादा इमारतों की नींव को इसने हिला दिया था. भू-वैज्ञानिकों द्वारा जबलपुर को भूकंप संवेदी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है. जिस वजह से यहां आने वाला छोटा सा भी भूकंप का झटका लोगों में डर पैदा कर देता है.
आज 25 साल बीत जाने के बाद भी उन भयावह तस्वीरों को लोग नहीं भूले हैं. किसी ने अपने को खोया था तो किसी का आशियाना उजड़ गया था. कोई मलबे में धंसा रह गया तो कोई आज भी हादसे में घायल होने के बाद अपंग हो गया था. 1997 मे हुई तबाही से आज भी सैकड़ो परिवार उबर नहीं पाए है.
भूकंपीय क्षेत्र (Seismic Zone)
जोन-II (कम तीव्रता वाला क्षेत्र/Low Intensity Zone) - 6 (या कम) तीव्रता
जोन -III (मध्यम तीव्रता क्षेत्र/ Moderate Intensity Zone)-7 तीव्रता
जोन-IV (गंभीर तीव्रता क्षेत्र/Severe Intensity Zone)- 8 तीव्रता
जोन-V (बहुत गंभीर तीव्रता क्षेत्र/Very Severe Intensity Zone)- 9 (या अधिक) तीव्रता
जबलपुर सिस्मिक जोन थ्री में आता है जहां 7 या उससे कम तीव्रता के भूकंप आने की संभावना हमेशा बनी रहती है. यहां गोंडवाना प्लेट्स आपस में टकरा रही है.
क्या आप जानते हैं कि भूकंप की लहरें किसी क्षेत्र से टकराने से पहले उस क्षेत्र के वातावरण में रेडॉन गैस की मात्रा बढ़ जाती है? रेडॉन गैस का बढ़ना दर्शाता है कि यह क्षेत्र भूकंप की चपेट में आने वाला है. इस पर विभिन्न अध्ययन किए गए हैं और निष्कर्ष निकाला गया है कि मिट्टी या भूजल में रेडॉन गैस की उच्च सांद्रता एक आने वाले भूकंप के संकेत हो सकते हैं. धरती की ऊपरी सतह टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं, वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं. प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, उससे अधिक ऊर्जा निकलती है.
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